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________________ बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ५५५ भवइ; "ग्रहवा एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयनो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो तिपएसिए खंधे, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ ; ° अहवा एगयनो चउप्पएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयग्रो दुपएसिए खंधे, एगयनो छप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयनो पंचपएसिए खंधे भव; अहवा एगयनो परमाणपोग्गले, एगयनो दो चउप्पएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयनो दपएसिए खंधे, एगयनो तिपएसिए खंधे. एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा तिण्णि तिपएसिया खंधा भवंति। चउहा कज्जमाणे एगयो तिणि परमाणुपोग्गला, एगयो छप्पएसिए खंधे भवाइ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो तिपएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो तिण्णि दुप्पएसिया खंधा, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ । पंचहा कज्जमाणे एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ'; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खंधा, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति । छहा कज्जमाणे एगयो पंच परमाणपोग्गला एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयनो दुप्पएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो तिण्णि दुप्पए सिया खंधा भवंति । सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयो तिप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयनो दो दुपएसिया खंधा भवंति । अट्टहा कज्जमाणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे भवइ । नवहा कज्जमाणे नव परमाणुपोग्गला भवंति ॥ ७७. दस भंते ! परमाणुपोग्गला' 'एगयो साहण्णंति, साहणित्ता कि भवइ ? २. सं० पा-पोग्गला जाव दुहा। १. सं० पा०–एवं एक्केक्कं संचारतेहिं जाव अहवा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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