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________________ ३६६ ३०४. तं भंते ! किं इत्थी बंधइ ? बंधंति ? पुरिसा बंधंति ? बंधइ ? पुरिसो बंधइ ? नपुंसगा बंधंति ? भगवई नपुंसगो बंधइ ? इत्थी ? नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसगो गोमा ! नो इत्थी बंधइ, नो पुरिसो बंधइ' नो नपुंसगो बंधइ, नो इत्थी बंत, नो पुरिसा बंधंति, नो नपुंसगा बंधंति, नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसगो बंध - yo पडिवन्नए पडुच्च अवगयवेदा बंधंति, पडिवज्जमाणए पडुच्च अवयवेदो वा बंधइ अवगयवेदा वा बंधंति ॥ ३०५. जइ भंते! अवगयवेदो वा बंधइ, अवगयवेदा वा बंधंति तं भंते ! कि १. इत्थी पच्छाकडो बंधइ ? २. पुरिसपच्छाकडो बंधइ ? ३. नपुंसगपच्छाकडो बंधइ ? ४. इत्थीपच्छाकडा बंधंति ? ५. पुरिसपच्छाकडा बंधंति ? ६. नपुंसगपच्छाकडा बंधंति ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाको य बंध ४ ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य । बंधइ ४ ? उदाहु पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंघइ ४ ? उदाहु इत्थीपच्छाast य पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ ८ एवं एते छव्वीसं भंगा जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति ? Jain Education International गोयमा ! १ इत्थीपच्छाकडो वि बंधइ २. पुरिसपच्छाकडो वि बंधइ ३. नपुंसगपच्छाकडो वि बंधइ ४. इत्थीपच्छाकडा वि बंधंति ५. पुरिसपच्छाकडा वि बंधति ६. नपुंसगपच्छाकडा वि बंधंति ७. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधइ, एवं एए चेव छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव' २६. अहवा इत्थी पच्छाकडा पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति || ३०६. तं भंते ! किं ९ बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? २. बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ३. बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ? ४. बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ? ५. न बंधी बंध बंधिस्सइ ? ६. न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ७ न बंधी न बंधड़ बंधिस्सइ ? ८. न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ? १. १. सं० पा०-- बंधइ जाव नोनपुंसगो । २. ८. अहवाइत्थी पच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य बंधंति . अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिपच्छाकडो य बधइ १०. अहवा इत्थीपच्छाकाय पुरिसपच्छाकडा य बंधति ११. अहवा गोमा ! भवारिस पडुच्च प्रत्येगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, प्रत्थेर्गातिए बंधी बंधइन बंधिस्सइ, एवं तं चैव सव्वं जाव प्रत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्स | इत्यपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ १२. अहवा इत्थीपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति १३. अहवा इत्थीपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ १४. अहवा इत्थी पच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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