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गाथा ७८-७९ ] क्षपणासार
[ ७७ लिए अपूर्वस्पर्धकों की वर्गणाओंके अध्वानसम्बन्धी संकलनप्रमाण वर्गणाविशेष द्रव्य शेषखण्डोंमेंसे ग्रहणकर आगमअविरोधसे अपूर्वस्पर्धकोको वर्गणाओमें प्रक्षेप करना चाहिए। यह संकलनद्रव्य एकखण्डके असंख्यातवेभागप्रमाण है'।
अपूर्वस्पर्धककी चरमवर्गणासे द्विचरमवर्गणामें एक चतुःचरमवर्गणामें तीन वर्गणाविशेष (वर्गणाचय) अधिक है। इसप्रकार प्रतिवर्गणा एक-एक वर्गणाविशेष बढ़ाते हुए पूर्वस्पर्धककी प्रथमवर्गणातक ले जाना चाहिए। इन सब वर्गणाविशेषोंको जोड़ने के लिए अपूर्वस्पर्धकको वर्गणाओंके अध्वानका संकलन कहा है। यदि अपूर्वस्पर्धककी वर्गणाओका अध्वान (वर्गणाओंकी सख्या) २० हो तो एक, दो, तीन आदि २०: तक जोड़नेको बीसका संकलन कहा जाता है । एकसे लेकर जिस सख्यातक संकलन करना हो तो उस अन्तिमसंख्याके आधेसे एक अधिक अन्तिमसख्याको गुणा करनेपर संकलनका प्रमाण प्राप्त हो जाता है । जैसे एकसे बोसतककी संख्याओंको जोड़ना है तो ३०४ २१=२१० प्राप्त होते हैं; यह बीसका संकलन है। इसी प्रकार यदि 'क' सख्यातक संकलन करना है तो [ क.x (क x १) ] = क+क संकलन होगा। ('क' सख्या असंख्यात या अनन्तको द्योतक हो सकती है ।)
एकफालिप्रमाण अपकर्षितद्रव्यके ड्योढ़े असंख्यातगुणित-अपकर्षण-उत्कर्षणभागहारप्रमाण खण्ड किये गये थे (चित्र नं. ३)। इन खण्डोमे से एककम उत्कर्षणअपकर्षणभागहारप्रमाण खण्ड अपूर्वस्पर्धकोके लिए ग्रहण किये गए थे अत: ड्योढअसंख्यातगुणित-अपकर्षण-उत्कर्षणभागहार प्रमाण समस्तखण्डो में से एककम अपकर्षणउत्कर्षणभागहारप्रमाण खण्डोंके घटानेपर समस्त शेषखण्डोको पूर्व व अपूर्वस्पर्धको में डाल देने चाहिए। वे खण्ड पूर्व-अपूर्वस्पर्धकोमें इसप्रकार निक्षिप्त किए जाते हैं- उन शेषखण्डोंमेंसे एकखण्डको ग्रहणकर पूर्व में कहे गये एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तरका भागहार जो असंख्यात-अपकर्षण-उत्कर्षणभागहार, उसको डेढगुणा करके जो प्रमाण प्राप्त हो उतने अवान्तर अर्थात् विकलखण्ड, उस ग्रहण किये गये एक सम्पूर्ण (सकल) खण्डके करने चाहिए उनमेंसे प्रत्येक अवान्तर खण्ड (विकलखड) का आयाम अपूर्वस्पर्धकके आयाम बराबर है। देखो निम्न चित्र न० ५ :
१. जयधवल मूल पृष्ठ २०३४ ।