Book Title: Labdhisara Kshapanasara
Author(s): Ratanchand Mukhtar
Publisher: Dashampratimadhari Ladmal Jain

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Page 617
________________ पृष्ठ पंक्ति ३ ७ ἐ १४ १४ २२ २३ २५. १४ ११ १५ ५ १५ १२-१३ १८ १४ १८ २४ २४ १० १० १० १२ २८ २८ ३३ T ५६ ५६ a ar m 2 a a १३ १७ ३४ ३६ ५ ४१ १३ ४१ १७ ४२ १० ४३ २ ४८ १० २४ १३ १५ १७ श्रशुद्ध श्रधःप्रवृत्तकण ६० १ ६० ४ २७ जघ पु.पू २११ ज.ध.पु १२ पृ०२११ उदय बतलाया ६० ६ ६४ २ ७५ ५ चउतीसा श्रसप्राप्ता चोदूस हता चींतिस गोधवज्जगरा ए गग्गोधवज्जरणाराए व्रज्रर्षभ उद बतलाया २१ अजहण्णमणुक्कस्स्प्पदे अजहण्णमणुक्कस्स श्रसप्राप्ता बंघति अव्वम रिट्टिय ॥ गुरुपदेश उर्वाक आकर्षमनुकृष्टिः - लब्धिसार शुद्धिपत्र शुद्ध पृष्ठ पक्ति २० खन्डका प्रतिभाव है। प्ररूपरणा अन्तरोपनिधा का निरूपण बद्धद्रव्यावलि एक भांव को अध्वान निषेकभागाहार श्रघःप्रवृत्तकरण | ८४ होता ६५ चौतीस ६७ चहान भागाहार 17 स्थितिकर्म प्रगारणवाला चोतीसा && १०२ १ चोदस १०३ ११ वज्रर्षेभ १०३ १६ श्रसंप्राप्त १०३ २० बत १०४ 5 १०८ ४ १०८ १८ श्रसप्राप्त प्पदे ११३ २० ११५ १२ अमर्याि ॥ गुरूपदेश ११५ १८ उबँक ११५ २३ अनुकर्षणमनुकृष्टि | ११६ ७ खण्ड का ११८ १७ प्रतिभाग है । प्ररूपणा श्रनन्तरोपनिधा का निरूपित बद्ध द्रव्य आवली एक भाग को ११६६ १२६ १४ १२७ १ १३० ७ १३४ १३७ अध्वान १४० ५ निषेकभागहार | १४५ ७ १५० २६ २० १२ ६७ १६ चयहीन भागहार ܕܙ स्थितिसत्कर्म प्रमारण वाला ३ ३ १५२ ε १५२ २४ - श्रशुद्ध निष्टापक सलिये सशयिक 33 प्राप्त हो जो वन्ध भजनीय यह विशेष अनन्तरकाल प्रारम्भ है । यह स्थितिघता अनिवृत्तिकरण वाला आयु कम का कर्मों की स्थितिकर्म पल्योप प्रमाण है, स गुणसे ढ अवस्थिति गुणसे सिख भाग प्रथम २ प्रतिपाद्यमान सतगुण वृद्धि जाकर शुद्ध निष्ठापक इसलिये सायिक अक्त उदयाद उदयवह खवदे पश्चादनुपूर्वी पश्चादानुपूर्वी प्रमाण तथा तथा उससे पूर्व करके उनसे मन्यातगुणा पूर्व करण के प्रथम २ प्रतिपद्यमान श्रमात गुरावृद्धि पाक फर 19 प्राप्त होकर हो बघ के भजनीय यहा विशेष अन्तरकाल चालू है, यह स्थितिघात प्रनिवृत्तिकरण परिणाम वाला श्रायु कर्म का कर्मों के स्थिति सत्कर्म पत्योपम प्रमारण है, उस गुणसेट प्रवस्थित गुडिसंभागा उक्त उदयादि उदयवह राविदे

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