Book Title: Labdhisara Kshapanasara
Author(s): Ratanchand Mukhtar
Publisher: Dashampratimadhari Ladmal Jain

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Page 645
________________ ( २६ ) प्रशस्तभाव २४७ लब्धिकांश लब्धिस्थान १५२, १५३, १५४ प्रस्थापक प्रायोग्य प्रायोग्यलब्धि वर्ग २२२ २२१, २२३ "फ" वर्गणा फालि १०० १०७ वद्धायुष्क बध्यमान बन्धपरावर्तन बन्धापसरण बहिर्भूत बादरकृष्टिकरण बीसिया वर्णचतुष्क वाक्यशेष विकलचतुष्क विद्यातभागहार विद्यातसक्रमण विपरीताभिनिवेश २८६ ७५, १७० ८३ विपर्यास २७१ ९६, १४८ mr २७१ विप्रकृष्ट विमर्शकस्वरूप विलोमक्रम विशुद्धि लब्धि विशेप (चय) विषमस्थिति भजनीय १०२ १७ भयद्विक भवक्षयनिवन्धन १६४ वेदक ५६, २२७ २४० २२४ मध्यधन मध्यम कृष्टि मध्यम खण्ड महादण्डक मिथ्यात्व निमित्तक मिथ्यानुष्ठान वेदक सम्यग्दृष्टि व्याघात व्याघातविषयक व्याप्त व्यामोह ५० ८१ २० । १०८ "श" "य" शक्ति स्थिति २८८ यतिवृषभाचार्य यथाख्यात चारित्र शतपृथक्त्व शलाका श्रद्धानभाग रिण व्यवहार लक्षपृथक्त्वसागर २८० |

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