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पृष्ठ पंक्ति
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७५.
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२१
२
*
१६
१६
१८
११
२२
२
९
E
१२
अशुद्ध
उपपादानुच्छेद
धनुपपादानुच्छेद
८२
२०
८३
१९
८३ २३
८३ २४
८६ ५
ए
इस नवकसमयप्रवद्ध का अपगतवेदी का सातपर्य परितासरवातस्य कफी
श्रादि वगंगा मे नीचे के
जघन्यपरीतानन्त
१७
४] से ७ इससे पूर्वस्वको का
यु हीदि घपुष्यदिवग्गलाउ
पूर्वस्पर्थक वर्गणा पूर्व - स्पर्धक वर्गणात्री के
करके जो प्रमाण पूर्वराष्टों के
श्रीवादिचार
काण्डकारण मे एक
बोध हो जावे जयघवला टीकाकार दूसरी कपाय का
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************* [100006500...
भागहार असख्यातगुणा है।
( ३ )
मुबदेहि
होणो अनुभाग
अनुभाग
७४९
अनुभावसम्बन्ध
शुद्ध
उत्पादानुच्छेद
श्रनुत्पादानुच्छेद
एदेण
उरा नवकसमयप्रबद्ध का
अपगतवेदी की
प्रसख्यात हजार
वर्ष
परीता सख्यातवे स्पर्धक की
श्रादि वर्गणा मे तदनन्तर नीचे के जघन्यपरीतानन्तयें
सु देवि यदिमवग्गणाउ
पूर्वस्पर्धक की सकलवाए पूर्व स्पर्धक की
आदि वर्गणा के
करके रूपाधिक करके जो प्रमाण
पूर्वस्पर्धक के सकल खण्डो के
क्रोधादि चारो
काण्डप्रमाण में क्रमशः एक
बोध हो जावे, एतदर्थं जयधवला टीकाकार दूसरी कपाय की
इससे पूर्वस्पर्वको की धपेक्षा एक प्रदेश गुणहानिस्थानान्तर का अवहारकाल असख्यातगुणा है। क्योंकि एक प्रदेश गुणहानिस्थानान्तर के स्पर्धेको को स्थापित करके पुनः उनमे से पूर्व स्पर्धको का प्रमाण एक बार अपहृत करना (घटाना) चाहिये । और एक अवहारशलाका स्थापित करनी चाहिये इसप्रकार पुनः पुनः अपहृत करने पर [ घटाते जाने पर ] अपकर्षणउत्कर्षणभागहार से असख्यातगुणा, पत्योपम का असख्यातधा भाग प्राप्त होता है। इस कारण यह श्रवहारकाल पूर्वोक्त से श्रसंख्यातगुणा है, ऐसा निर्दिष्ट किया गया है। [ ज०६० २०३२]
ममुदेदि
होणो अणुभाग अथवा रसस्सबधो या "रसवधोय"
प्रणुभाग
७९४ अनुभागसम्बन्धी