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लब्धिसार विषयानुक्रमणिका
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प्रारम्भ
विषय
पृष्ठ विषय मगलाचरण
गुणश्रेणि निर्जराका कथन प्रथमोपशम सम्यक्त्व
गुण सक्रमण का कथन प्रथमोपशम सम्यक्त्व की प्राप्ति के योग्य जीव
स्थिति काण्डक का स्वरूप पचलब्धियो का नाम निर्देश
स्थिति काण्डक घात की विशेषताए क्षयोपशमलब्धि-विशुद्धिलब्धि का स्वरूप
५ | अनुभाग काण्डक घात आदि का कथन देशनालन्धि का स्वरूप
६ | अनिवृत्तिकरण का स्वरूप और उसमे होने वाले कार्य ६७ प्रायोग्यलब्धिका स्वरूप
अन्तरकरण सम्बन्धी कथन प्रथमोपशम सम्यक्त्व ग्रहण की योग्यता का विवेचन ७ | अन्तरकरण के पश्चात होने वाले विशेष कार्य प्रथमोपशम सम्यक्त्वाभिमुख स्थितिबन्धपरिणाम
प्रथमोपशम सम्यक्त्व के ग्रहणकाल मे होने वाले प्रायोग्य लब्धिकाल मे प्रकृति बंधापसरण
विशेष कार्य चौंतीस प्रकृति वन्धापसरण का प्रतिपादन
मिथ्यात्व को तीन भागो मे विभक्त करने की विधि ७३ चारोगतियो मे पाये जाने वाले बन्धापसरण
गुण सक्रमण की सीमा और विध्यातसंक्रम का गतियोंके आधार से बध्यमान प्रकृतियो का प्रतिपादन १७ स्थिति-अनुभागबन्ध का कथन
अनुभाग काण्डकोत्कीरण कालादि २५ पदो का सम्यक्त्वाभिमुख मिथ्यादृष्टि के प्रदेश विभाग २० अल्बहुत्व महादण्डको मे कथित अपुनरुक्त प्रकृतिया २१
प्रथमोपशम ग्रहणकाल मे स्थिति सत्त्व का कथन ८० प्रथमोपशम सम्यक्त्वाभिमुख विशुद्ध मिथ्यादृष्टि के
देशसयम व सकलसयम के साथ प्रथमोपशम सम्यक्त्व उदययोग्य प्रकृति सम्बन्धी स्थिति-अनुभाग तथा
ग्रहण करने वाले जीव के स्थिति सत्त्व प्रदेशो की उदय-उदीरणा का कथन
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दर्शन मोहोपशम काल मे होने वाली विशेषता प्रकृत सत्त्व के सम्बन्ध मे विशेष विचार
सासादन का स्वरूप एव काल का कथन सत्कर्म प्रकृतियो के स्थित्यादि सत्कर्म कथन
उपशम सम्यक्त्व सम्बन्धी प्रारम्भिक सामग्री पूर्वक प्रायोग्यलब्धि का उपसहार
उपशम सम्यक्त्व काल के अनन्तर उदययोग्य कर्म करणलब्धि का विवेचन
का विशेष कथन अधःप्रवृत्तादि तीन करणो का स्वरूप
दर्शन मोहनीयकर्म के अन्तरायाम पूरण का विधान ८७ अघ.करण का विशेष विवेचन
सम्यक्त्व प्रकृति के उदय का कार्य अपूर्वकरण का विशेष विचार
मिश्र प्रकृति के उदय का कार्य गुणश्रेणी का स्वरूप निर्देश
| मिथ्यात्व प्रकृति के उदय का कार्य निक्षेप व प्रतिस्थापना का विशेष कथन
| प्रथमोपशम सम्यक्त्व चूलिका व्याघातापेक्षा उत्कृष्ट प्रतिस्थापना
क्षायिक सम्यक्त्व प्ररूपरणाउत्कर्षण सम्बन्धी विशेष निर्देश
|क्षायिक सम्यक्त्वोत्पत्ति की सामग्री