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प्रश्नों के उत्तर
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भुत स्थान है । इसी के माध्यम से उठना, वैठना, पाना, जाना, खानापीना आदि सभी क्रियाएं सम्पन्न होती है । इसके अभाव में प्रात्मा कोई भी शारीरिक उन्नति नहीं कर सकता । शरीर द्वारा जो जपतप ..
आदि धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, इसके नष्ट हो जाने पर उन सब : का अभाव हो जाता है। ऐसी परम उपयोगी और प्रधान शक्ति को नष्ट कर देना एक भयंकर पाप माना जाता है।
. .... नवीं प्राणशक्ति का नाम श्वासोछ्वास है । जीवन को सभी प्रवृत्तियों का उत्तरदायित्व इसी शक्ति पर है। इसीलिए ससार में "जब तक सांस तव तक प्रा." यह किम्बदन्ती प्रचलित हो रही है । . यदि श्वासोच्छ्वास की शक्ति समाप्त हो जाए तो जीवन को आशा भी समाप्त हो जाती है । यह शक्ति किसी से उधार नहीं ली जा सकती। . मूल्य दे कर यह खरोदी भी नहीं जा सकती। जो सांस हाथ से निकल.. गए हैं, संसार की कोई शक्ति उनको वापिस नहीं ला सकती । वन्दुक से निकली गोली संभव है कि वापिस हो जाए, और धनुप से छटा तीर भी वापिस हो जाए किन्तु यह सर्वथा असंभव है कि गए हुए सांस वापिस आ जाएं । ऐसी अनमोल शक्ति को लूट लेना कितना भीषण .. पाप है ?
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..... ... .. आयु दसवीं प्राणशक्ति है । यह शक्ति सर्वोपरि शक्ति है । इसमें ..
पूर्व की सभी प्राणशक्तियों का समावेश हो जाता है। जैसे वृक्ष का ... मूल काट देने पर उसकी शाखाएं, प्रतिशाखाएं, पत्ते, फल, फूल आदि ,. ... सव नष्ट हो जाते हैं, ऐसे ही आयुवृक्ष के टूटते ही उसके श्रोत्र, चक्षु । ... आदि सर्व शेष भाग अपने-आप समाप्त हो जाते हैं। जैसे बादशाह के : . .मर जाने पर समस्त प्रजा अनाथ हो जाती है, वैसे ही इस शक्ति के...
समाप्त हो जाने पर पांचों ज्ञानेन्द्रियां और समस्त अंग-उपांग सब के ..