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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं० १६
नरक गति में
१७ सम्यवाद
मिथ्यारब, सागादन, मिश्र, उपगम, सायिक, क्षयोपगम ये ६ जानना
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का भंग-भव्य, प्रभब्य । २का मोई, २६. भंग-पर्याप्तवत का भग
कोई ये जानना । अवस्था
अवस्था (२) रे रे ४थे पुरण में रे रे ये गुण में १ भव्य (२) गुगण , में
मृण में ।
१भव्य १ भव्य ही जानना १ भव्य ही जानना! जानना भव्य ही जानना ।१ भल्य हो जानना| जानना । सारे भंग । १ मम्यधन्य
सारं मंग
१ सम्यक्त्व १.१-१-३-२ के भंग
| मामादन. मिश्र, उपशम । '(१.१वे गुगण में । श्ले गरण में | मिथ्यात्व । ये घटा र (३) १ मिथ्यात्व जामना १ मिथ्यात्य
१-२के भंग (२)२२ गुम्ग में
रेगा में सामादन । (१) ने गुग में जे मृग में । मिथ्यात्व १मासादन जानना सामादन
१मिथ्यात्व जानन।।
१ मिथ्याव (३) ३रे गुरण में
। ३रे गरा, में मिथ । अर्थात मिपान में नर जानना । मिथ जानना
१ मिश्र
। कर ले नरक से सातों । (४) ४ गुण में
४चे युग में । ३-१ के अंगों । ही नरसों में जन्म । ने नरक में
| १.२ का भंग । में से कोई लेता है। का भंग-उपशम. | सम्यक्त्व । (२) थे नुग्म में
मुरण में
के भंग में क्षायिक, क्षयोपशम ३ . | जानना २ का भग-१ये नरक में। का भंग
। से कोई का भंग जानना
क्षायिक, क्षयोपशम ये 2 का
। सम्बकत्व रे से उवे तक नरक में
भंग जानना अथांत ४थे २ का भंग-ऊपर के के
गुग्म में मरने वाला | भंग में से क्षायिक स०१
जीत्र ने नरक में | घटाकर उपशम, क्षयोपशम सम्यक्त्व जानना
(१) भूचना--द्वितीयोपशम सम्यक्त्वो मर कर नरक में नहीं आता है (२) सूचना- यहां २ का भंग (ले नरक की अपेक्षा जानना
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१८ राज्ञी
१ से ४ गुमा० में १ संजो जानना
१ संशी
संजी संज्ञी
ले ४थे गुगल में १ संज्ञो जानना
सभी