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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०४७
पुरुष वेद में
मंग में से एक स्त्री वेद:
स्त्री वेद १ घटाकर २३. पटाकर २:-१६ के भंग
२३ के मंग जानना जानना
१६ का भंग-को० नं० (३) देवनि में
: सारे भंग १ मंग ११ के समान जानना २३-16 के भग को० नं० १९.की.नं.१ देखो कोन १६ देखो २३-१६-१६ के भग को के २४-२० के हरेक भंग में
नं०१६ के मुमान से एक स्त्री वेद घटाकर
जानना ३-१६ के भंग जानना २३-१६-१६ के मंग को ।
नं०१६ के ममान जानना १२ज्ञान १ मंग१ज्ञान
मंग१ज्ञान केवल जान पटाकर | (१) नियंच गति में
का नं.१७ देखो को नं. १७ देखो प्रवधि ज्ञान, मनको . नं०१७ देखो कोनं०१७ देश्द्रो मोष ७डान जानना २-३-३-३-३ के भंग
पर्यय ज्ञान ये २ घटाकर को० नं. १७ देखो (२) मनुष्य गति में
मारे मंग १ ज्ञान | (१) नियंप गति में ३-४-३-४-३-4 के अंग को न०१८ देखो कोनं०१८ देखो -२-८ के भंग को० नं० को नं०१दखो
१७देखो (३) देव गति में
सारे मंग १ जान |100 मनुप्य गति में मारे भंग १ ज्ञान ३-३ के भंग-को नं. को नं.१६ देखो को नं०१६ देखो -३-३-८-३ के भंग को० न०१८ देनो को नं. १८ देखो
। को००१८ देखो (3) देवगति में
मारे भंग
जान २.-:-: के भंग का नं. १६ देवी कोनं०१६ देखो
को नं०१६ देखी १३ मंगन
१ मंग संयम मूक्ष्म सांवराय और (2) नियंच गनि में का० नं.१. देखो कोना देवो अगंयम, सामायिक । अपने अपने स्थान अपने सपने स्थान बथा-स्थान ये घटा १-१-१ के अंग को.नं. अपने का स्थान मपने अपने स्थान छत्रोपम्बानना ये (३) । के भंग जानना के मंगों में मे कर १७ देखो
के भंग जानना । के भगों में ले | (१) निर्यच गति में कोर नं०१७ देखो। काई । मंयम कोई १ मयम । १-१ के भग को नं० ।
जानना (२) मनुष्य ग-िमें
सारे भंग संयम । १७ देखी
कोनं १७ देखो १-१-३-२१२-१ के अंग को न०१८ देखो को००१८ देतो