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( ३७० । कोष्टक नं० ५२
चौंतीस स्थान दर्शन
अप्रत्याख्यान ४ कषायों में
| (४) देवति में
१ भंग १ उपयोग (३) मनुष्य गति में | सारे भंग १ उपयोग ५-६-६ के भंग को० नं. १६ देखो को नं०१६ देखो ४-६-४-६ के भंगको० नं०१८ देखा कोन०१८ देखो को० नं. १६ देखा
मो० नं०१८ देखो (४) दंवगति में
१ भंग ५ उपयोग | ४-४-८-६ के भंग को० नं०१२ देखा कोनं-१६ देखो
को न०१६ देखो । २१ ध्यान
सारे भंग १ ध्यान
. सारे भंग । ध्यान भातं ध्यान ४, (१) नरक-निर्यच-मनुष्य- को० नं०१६ से को० नं०१६ से अपाय विषय मर्म घ्यान को० नं०१६ देखो को नं०१६ देखो रोद्र ध्यान ४,
देवगति में हरेक गति में । १९ देखो १६ देखो । घटाकर (९) प्राज्ञा विचय , . । ८-६-१० के.भंग .
(३) नक गति में माय विच्य१ये को न०१६ म १६ के
4- के मंग (१०) समान जानना
को न १६ देखो (२) तिच गति में
१ भंग
१ ध्यान -- के भंग कोनं० १३ देखो कोनं० १७ देखो क.नं.१७ देखो (३) मनुष्य नति में
नारे भग १ ध्यान ८-६-८- के मंग को नं०१८ देखो कोनं-१८ देखो को० नं.१% देखो (४) देवनि में
सारे अंग ! १ ध्यान - के भंग
कोज्नं० १६ देसो कोन०१६ देतो
! को नं०१९ देखो २२ प्रारद ५२ सारे भंग १ भंग
४२
| सारे भंग १ भंग मिथ्यात्व, अविरत पी० मिथकामयोग १,
मनोयोग , वचनयोग १२. पौष १३, वै० मिथ काययोग १,
मो० काययोग १, . । कपाय २०, ये ५२ | कामरिण काययांग १
बै० काययोग १, मात्र जानना ये ३ सटाकर (४६)
ये १० घटाकर (४२) (१) भरक गति में
सारे भंग १ भंग | (१) नरक गति में | सारे भंन १ मंग ४६-४१-३७ के मंगको० नं०१६ देखो कोन०१६ देखो, ३६-३० के मंगको ने०१६ देखो कोनं०१७ देखो को००१६के ४६
को० नं. १६ के ४२