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चाँतोस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०६०
मति-श्रुत ज्ञान में
१६मध्यत्व
१७ सम्यक्त्व
उपणम, क्षामिक, क्षयोपशम ये (३)
१ का नंग
१भव्य १ भव्य
१ भव्य ! १ भव्य चारों गतियों में हरेक में
चार्गे चतियों में हरेक में १ भ.नही जानना
१ भय्य ही जानना को.नं.१६ से १६ देखो
कोनं.१६ से १६ देखो सारे मंग म म्यवाव |
२
| मारे भंग १ सम्यक्त्व (1) नरक मति में
को.नं. १६ देखो कीनं०३६ देखो उपशाम घटाकर (२) . ३२ केभंग
(१) नरक गति में को० नं. १६ देसो कोनं०१६ देखो को० नं०१६ देखो (२) तिर्येच गति में
१भंग १ सम्यक्त्व | को० नं०१६ देखो २-३ के भंग कोन. १७ देखो को न०१७ देखो (२) तिथंच गलि में
मंग सिम्यक्त्व को नं०१७ देखो
भोग भूमि की अपेक्षा को नं०१७ देखो को न०१७ देखो (2) मनुष्य गति में | सारे मंग , १ सम्यक्त्व | २का भंग
३-३-२-२-२-१-३ के भंग को नं. १८ देखो कोन०१८ देखो को० नं०१७ देखो सारे भंग । १ सम्यक्त्व को० नं०१८ देखो
१३) मनुष्य गति में कोनं०१५ देखो को नं। १५ देखो (४) देवगति में
सारे मंग सिम्यक्त्व | २-२-२ के भंग २-३-२ के भंग
कोनं०१६ देखो को नं०१६ देखो को० नं०१८ देखो को.नं. १९ देखो
(४) देवगति में । सारे भंग १सम्यक्त्व ३का मंग
को.नं.१६ देखो कोनं० १९ देखो कोल्नं०१६ देखो
१८ संजी
चारों गनियों में हरेक में एक नजी जानना कोनं० १६ से १६ देखो
| को. नं० १६ से को.नं.१६ से
१६ देखो | १६ देखो
(१) नरक-मनुष्य-देव गति में हरेक में । संजी जानना (२) तियंच गदियों में भोग भूमि की अपेक्षा १मजी जानना
१९ माहारक
(१) नरक-देव गतियों में
हरेक में
को० नं०१६ मोर कोन०१६ मौर (१) नरफ-देव गति में । १६ देखो
देखो -के भंग
१भंग १ अवस्था को. नं. १६-१६ को नं० १६-१६
देखो