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चौतीस स्थान दशन
कोष्टक नं०६५
अनाहारक में
। भाँतीस स्थान बशन
मंग
४ प्राण को.नं.१५ देखो (1) मनुष्य गति में
'१ घायु प्राय जानना को नं०१५ देखो
। (२) तिर्वच-मनुष्य गति १ मंग में हरेक में
को.नं. १७१८ को नं०१७३-३ के भंग-को० नं0 देखो
१८ देसो १७-१८ देखो
लब्धि रूप अपने अपने | स्थान के ६-५-4 के भंग |
भी होते हैं १मंग १ भंग
१ मंग को० नं०१५ देखो को नं०१८ (१) नरक-देवगति में को० नं. १६-१६ | को० नं०१६देखो हरेक में देखो
१६ देखो ७ का भंग-को० नं. १६-१६ देखो (२) तिर्यच गति में
भंग | ७-७-६-५-४-३-७ के भंग को नं०१७ देखो | कोन०१७ को.नं०१७ देखो
देखो (1) मनुष्य गति में ७-२-७ के भंग को० नं. १५ देखो । को.नं०१८ को०२०१५ देखो
१ भंग
१ भंग (१) नरक-देवगति में को.नं०१६-१६ | कोनं०१५४ का भंग-को. नं. १६-१९ सो (२) निर्यच गति में
भंग १ भंग ४-1 के भंग-को० नं. को० नं. १७ देखो ' को नं० १७ १७ देखो
। देखो (३) मनुष्य गति में
मंग . १ भंग ४-1-४ के भंग को००१८ देखो 1 को.नं.१८ को० नं. १८ देखो
५ संज्ञा
को००१ देसो
| (१) मनुष्य गति में (0) अपयत संज्ञा जानना
को नं. १८ देखो
1 देतो