Book Title: Chautis Sthan Darshan
Author(s): Aadisagarmuni
Publisher: Ulfatrayji Jain Haryana

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Page 799
________________ शेष पांच संहनन धारी सापासून मनुष्यापर्यंतचे, जीव मत्स्य और मनुष्य ये जीव जाते हैं। जाते हैं। ७ नरक में-बजषमनाराष संहनन धारी ५वे नरक में-सिंह से लेकर मनुष्म तक के जीव मत्स्य और मनुष्य ये जीव जाते हैं । देखो गो० क० गा. जाते हैं। ६वे नरक में-प्रथम के ४ सहनन के धारी स्त्री, ४८. कौन से गुणण-पान में कौन सा सम्यक्त्य रहता है यह बताते हैंरले गुरण-स्थान में १- मिथ्यान्व जानना । १. सासादन , १. मिश्र ३. उपशम, अयोपशम, क्षायिक ये ३ जानना । २. प्रौपशमिक, क्षायिक ये २ जानना । १. क्षायिक सम्यक्त्व जानना। (देखो गो० क. या ५०६) ४६. दायित सम्यक्त्व-दर्शन मोहनीय कर्म के द्वितीयोपशम सम्यक्त्व का काल पूर्ण होने के बाद वेदक क्षपण का प्रारम्भ कर्मभूमि के मनुष्य, तीर्थकर या सम्यक्त्व प्राप्त होता है। के ली था श्रुत केबलीयों के पादमूल में (सानिध्य) होता कर्म भूमि के प्रथमोपदाम सम्यक्त्वी मनुष्य उपशम है और निष्ठापन (पूर्णता) वही होगा अथवा यदि मरण सम्यक्त्व का काल पूर्ण होने के बाद सम्यक्रवा जाय तो चारों गति में प्रति वैमानिक देवों में, मोठनीय (सम्यक्त्व प्रकृति के उदय से वेदक सम्यक्त्व भोगभूमि के मनुष्य या तियच अवस्था में, अथवा प्रथम होता है। नरक में होगा । (देखो गो. क. गा०५५०) कर्मभुमि सादि मिभ्याइष्टि मनुष्य मिथ्यात्व के उदय ५०. वेदक सम्यमाव-४, ५, ६, ७ इन गुण- का भभाव करके सम्यक्त्व मोहनीय के उदय से प्रसंयतादि स्थानवर्ती द्वितीयोपशम सम्यक्त्व धारी मनुष्य मर कर चार गुण स्थानों में (४थे से ७वें गुण-स्थान में) वेदक वैमानिक देव में उत्पन्न होता है। और वहां उसको सम्यग्दृष्टि होती है। (देखो गो० क. गा० ५५०) ५१. गुण-स्थान में पढ़ने और उत्तरने का क्रम बताते है: (देखो गोक० मा० ५५१, ५५७, ५१८, ५५६ और को नं०१५६ कस गुण-स्थान से किस गुण-स्थान में जाता है? स्थान संख्या १. मिथ्यात्व २. सासादन ३. मिथ ४. असंयत ५. देशसंयत ६.प्रमत्त ७.अप्रमत्त १ मिथ्यात्व जानना पड़े तो १ले में, चड़े तो ४थे में जानना पड़े ३, २, १ चढ़े तो ५,७ पड़े तो ४, ३,२,१ पढ़े तो पड़े तो ५४, ३, २,१ चढ़े तो ७ तो ६ चढ़े तो ८ (मरण हो तो ये गुण) arrxxurm

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