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(४) योग-मनोयोग सत्य-असत्य-उभये अनुभम ये पाहारक मित्रकाययोग और कार्माण कापयोग ये ७) ४, इसी तरह वचनयोग ४ और काययोग ७ (चौदारिक इस तरह १५ प्रकार का है। .काययोग, मौदारिक. मिश्र काययोग, बैंक्रियिक फाय- इस प्रकार सब मिलकर मानव के ५+१२+२५ योग, वैक्रियिक मिश्रकाययोग, प्राहारक काययोग, +१५= ५७ भेद होते हैं। । देखो गो. क. गा.
(१ मूल प्रास्त्रबों को गुण स्थानों में बताते हैं। .. . . .
( देखो गो० क. गा०३७-७-७८८ और को ने. २१७)
मानव
गुरणस्थान
विशेष विवरण
संख्या
१ मिथ्यात्व
मिथ्यात्व, अविरति, कषाय, योग ये ४ ग्राम्रब जानना ।
२ सासादन
अविरति, कषाय, योग ये ३ जानना।
३ मिथ
४
असंयत..
५
देश संमत
।
अविरति, कषाय, यो, 'यहां संयतासंयत मिश्रभाव रहता है ।
६
प्रमत्त : .
कषाय और योग ये २ जानना ।
७ ..अप्रमत्त
८
अपूर्वकरण
है अनिवृत्तिकरण
१० मूक्ष्म सांप सय ११ उपशांत मोह ११ क्षीण मोह .
१ योग जानना।
१३ सयोग केबली
१४ प्रयोग केवली