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( ७७४ )
(२) गुल स्थानों में ५७ उत्तर भाव के अनुदय, उदर, व्युच्छित्ति दिलाते हैं। इसमें केदानवण कृत सात गाथा भी प्राये हैं (देखो गो० क० गा० ७८१-७६० और को० नं० २१८ )
गुण स्थान
१ मिध्यात्व
२ सासदान
३ मित्र
श्रसंयत
५ देशसंयत
६ प्रमत्त
७ अप्रमत्त
पूर्वकरण
निवृतिकरण
भाग १
धनुषध
सख्या
१४
२०
३३
२५
३५
२
r
४१
उदयगत
श्रनुदयगत प्रासवों का नाम श्रात्रव
संख्या
श्राहारक काययोग १, आहारक मिचकाययोग |ये २
२+५ मिथ्यात्व ने ७ जानना
११ + ३ ( श्रौ० मिश्रकाययोग १. ६०मिश्र० १ काम काययोग १) ये १४ जानना
योग ) ११
के
७+४=११
जानना
११ २० जानना
२०+ १५०३५-२ (प्राहारक) ३३ जानना
३३+२ (धाहारक) ३५
३५ ऊपर के समान जानना
१५+६-४१ जना
보복
५०
४३
३७
२२
१६
I आसव
व्युच्छि० संख्या
i
१५
ܐ
५
1
व्युच्हिति प्राप्त आसव का नाम
मिथ्यात्व ५ जानना
अनन्तानुवन्धी कषाय ४
अप्रत्यख्यान कषाय ४, वैदिक काययोग १. चं० मिश्र० १,
योग १.
पौ० मिश्र० १.
१. ये ६ जानना
प्रत्याख्यान कषाम ४, अविरति ११ मे १५
श्राहारक काययोग १, आहारक मिश्र० १. ये २
हास्यादि नोकषाय ६
नपुंसक वेद १