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(५) गुरग-स्थानों में मूलभावों की संख्या और स्वपर के संयोग रूप भावों की संख्या को विखलाते हैं।
(देखो गो० क. गाः ५२१ को नं०२३३)
गुस्स-स्थान
ना
ल पावों के नाम और संख्या मूल भावों। वो संख्या | प्रौपशमिक क्षायिक
| मिश्र औदायिक पारिणामिक (क्षयोपश)
१. मिथ्यात्व
२. सासादन
३. मित्र
४. असंयत
-
५. देवासंयत
-
६. प्रमत्त
-
-
७. अप्रमत्त
-
८. अपूर्व क. उप० ।
६. अनिवृ० ॥ १०. सूक्ष्म सा० , ११. उपशात मो०,
८. अपूर्व क० क्ष श्रे ____६. अनिव
१. सूक्ष्म सांs ,
१२. क्षीण मोह
१३. सयोग केवलो
१४. अयोग केवली
सिद्ध गति मैं