Book Title: Chautis Sthan Darshan
Author(s): Aadisagarmuni
Publisher: Ulfatrayji Jain Haryana

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Page 846
________________ पृष्ठ ३०२ ३० ३०८ ܘ ܕ ३०.७ ܕ 608 १०६ ३०६ २ ३०६ Pr ६०९ २१८ ३१९ ३२१ ४२२ १२९ ३२९ Feg 2 - હ २५ ३०८ २४ ܪ ܝ ܪ ३१४ * १३ apv १६ ३१६ ३१६ २२४ ३२४ ܪ २६ १२ १७ ३२५ ३०८ १२ ६२८ < ३२९ ܘܕ २१ ? ६ .२९ १८ ३२९ १२५ १६ शक्ति १ '' अशुद्धता टाकर ४६ प्र. का. ६ में का भंग का. ७ में १ का. १ में १० उपयोग का. २ में की क. ९ में ४-६-१-४-६ का ६ में ३४-३७-२८ १६ में १४ स. ७ का ८ में सारेभंग का ६ में १७-१८-१२ का २ में की नं १ का. ८ में को का। ६४९३२ का २ में ३३० - २३१ का ६ में पर्याप्त पर्याप्त का का ६२३-२३ [ का का का का SP २४-२३ के का ७ में भग १६-१८-१८ में का ४ में सभंग का ६३ ७ में १ मंग का मं ५ का में ये का में को. नं १७ ५ *. ६ मे २८-२३-२२ का ८ में कोन १८ में १-२ के मंग का कोन Pro ܕ २५-२४-२५.२८ ६ मे १७-१८९ २ में १ देखी ५ में १६ ३ मे २ ३-३-२-१ में १८ देखी ८११ शुद्धता घटाकर १४६ १ का भंग १६-१८-१९ १ १६-१०-१९ को. नं. २६ को. नं १७ * मंग २० उपयोग कोनं १८ ४-१-१-४-१ ३४-३०-३८ १२४ ३९-३३ ३३०-३३१ अपर्याप्त अपर्याप्त १ मंग २३-२३-२३-२३] के मंग को नं. १७ के २५--२५-२५-२५ के १ भंग को. नं १९ १२. मारंभंग १५ २ की नं. १९ २६-२४-२५-२८ २८ - २३-२१ की नं. १९, १-२-१-२ के मंग हो.नं. ९७ १७-१८-१९ १७ देखी २-२-३-१-२-३ १७ दे १७

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