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पंक्ति अपुरता
शुद्धता
सदा-देनानि में पीय प्रयस्था में अशुभ लेश्या नहीं होते ।
नरक और कर्मभूमि की अपेक्षा मनुष्यगति में। १ नरक देवति में और कर्मभूमि की अपेक्षा मनष्यगति में। १६-१९-१८
के नीचे ५३० २ ३ मा ३ में कर्मभूमि की
अपेक्षा १ करक मनुष्म ५३० २३ का. ६ में कर्मममि की अपेक्षा
नरक मन व्य देवमति ५३० ६ का, ६ में १६-१८-१९ ५२ १२ १३ का. ३ में कर्मभूमि की
. अपेक्षा १ नरक मनध्य
देवति ५३० १२१३ का ६ में कमममि की
अपेक्षा १ नरक मनुप्य ५३. १६ का, ६ में १६-१८-१९ ५३० २६ २७ का ३ में कर्मभूमि को
अपक्षा १ नरक मनुष्य
गति में। ५३० २६ २७ का.६ में कर्मभूमि की अपेक्षा
१नरक मनुष्य देवगति
देवति ।
का.६ में १६-१८-१९ ५३१ ५ का ३ में कर्मभूमि की अपेक्षा
१ नरक और कर्म भूमि की अपेक्षा मनुष्यगति में। १ नरक देवगति में और कर्मभूमि की अपेक्षा मनुष्वगति १६-१९-१८ १ नरक और कम ममि की अपेक्षा मनुष्यसि में
नरक देवगति में और कमभूमि की अपेक्षा मनष्यति
१६-१९-१८ इस पंक्ति को इसके नीचे ८-९ के बीच पढा जाय 1
का. ३ में कर्मममि की अपेक्षा
इस पंक्तिको इसके नीचे १९-२० पंक्ति के बीच पढ़ा जाय ।
का २ में ४ का ३ में कममि की अपेक्षा
५३२
२
इस पक्ति की इसके नीचे ५-६ पंक्ति के बीच पढा जाय ।
५३२ २७ का ६ में २-२ ५३३१६-१७ का, ३ में
कमभूमि की अपेक्षा इतना पढा जाय ।
५३४ २-३
५३४ २-३
का. ३ में कर्मभूमि की अपेक्षा १ नरक और कर्म भूमि की १परक मनुष्य
अपेक्षा मनुष्य । का, में कर्मभूमि की
१नरक देवगति में और अपेक्षा १ नरेक मना कर्मभूमि की अपेक्षा देवप्ति
मनुष्यगति ।