Book Title: Chautis Sthan Darshan
Author(s): Aadisagarmuni
Publisher: Ulfatrayji Jain Haryana

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Page 869
________________ ८३५ पृष्ठ पंक्ति अशुद्धता भुक्ता ७२३ ८ १ ले माने में मनःशानावरण मन:पर्ययमानावरण ७२३ १२ , चक्षु में चक्ष से ७२३ २४ २ रे खाने में साताधेदनीय असातावेदनीय ७२३ ३२ नोष कषाय नोकषाय ७२४ १ १ले खाने में. ७२४ १ १ले खाने में उन ७२४ १२ २रे खाने में में १२ से १९ पंक्तियां यहां गलती से छपी गई है इसलिये इनकों यही पृष्ठ ७२४ के १ ले रकाने में अंतिम पंक्ति के नीचे इस तरह पूरी रेखा खींची जाय और उस रेखाके नीचे इन पाठ पंक्तियों को पटा जाय । ७२४ १९ और २० पंक्तियों के बीच में इस तरह पूरी रेखा खींची जाय कारण इस रेखा के . नीचे का विषय ले खाने में का है बलग है। ७२५ २९ १ले खाने में रें खाने में शरीर के देवशरीर के ७२६ सबसे नीचे का रेखा के नीचे का पंक्ति यहाँ गलतीसे पो गई है इसको १७२५ केरेर काने के सबसे नीचे इस तरह पूरा रेखा खींचकर उसके नीचे पढ़ा जाय । २ रे कान में १-१ ७२७ २८ , आतय १० आलप ७२८ २७ १ ले खाने में ततोस्थि ततो ७२८ २७ २रे खाने में प्रा : प्राज्ञ: . ततो १४३ ७२९ २६ से २७ ये पांचो पंक्तियां २२ रकाने से निकालकर १ ले रकाने में उसी पंबिनयों में पढा आय अर्थात् १० कषायों का नाम कषायों का कार्य इस प्रकार १ ले रकाने में ही पडो कारण ये पांच पंक्तिपा २२ रकाने में गलती से छप गई है। ७३० ६ २ रे खाने में संयास सन्यास ७३० ११ गा. ६७ १. ४ ले रकाने के नीचे श्रमदान श्रद्वान ७१ १७ , और गलहीसे छपी है निकाल देना ७११ ६ २रे रखाने में वर्गरह वगैरह गणस्थानों में ७३१ १७ ९४ से १०२ ७३२-पहले कॉ में जो गणस्थानों के नाम छपे है ये पंक्तिबद्ध नहीं है इसलिये उन को क्रम मे २रेका में के.-१०-४-६-१ इन पंक्तियों के पंक्ति में रख कर पढ़ा जा। ७१२ २२ का. ३ में इस इस माय

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