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आचरीय यहीवपमा आचार्य लाभ को में से - (कॉलम १ में) पति (का-३ में) ११ काभंग (का. १ में) और काययोग (का ३ में, २ (का. ३ में) २१-२७ के (का. ३ में ११ से १९ देखो
यति वृषभाचार्य लाख कोटि में से ३ पर्याप्ति १. कामंग औदारिक काययोग
४०१
४.
१५
४१
४१
4. मिश्रकायोग जीवाव१ये ३३ माव यशीनि १. अपशकौंलि १,३६ लोकका
को. नं १६ मे १९ देखी
१ (का. २ में)३
(फा ३ में) ३
का २ में) , मिश्रायद्योग २६ [का, २ में)ये ३३ भाव
याति १ये ६६ पत्यका (का. ३ में) ६
(का. ४ में) ४ गतियों में से ३ (का.७ में) १० देखो
(का, ४ में) १ मंग को.नं. १६ मे १९ देखो (का. २ में) आहार का (का.३ में) कार्याकाय
(कोट में को. नं १७ १४ १८ देसी
(का. ४ में) स्वमंग (का ४ में) और का. ७ में
(का. १ में) और (का में) ३१ भंग १ मंग
अंग १ भंग का.६ में) को.नं. १६ (का. ४ में) भंग
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१ गति चारगतियों में से कोई १ गति जानन आहारक कार्माणकाय को. नं. १८-१९ देखो
४५
सारेमंग
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१ भंग १ भंग सारेभंग सारेभंग सारेभंग सारेमंग सारेभंग को. नं. १९ सारेमंग सारेभंग सारेमंग भोग
४६
२६
(का. ७ में) भंग [का. ६ में] योग
४६
२५
(का. ८ में) को नं. १७
को.नं. १६