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पड़े तो ७ चढ़े तो ६ (मरण हो तो ४थे गुण)
। १० (नहीं चढ़ता) , स्वे गुण
. A
५. अपूर्वकरण
६. अनिवृत्तिकरण १०. सूक्ष्म सांपराय में ११. उपशांत मो० Ja ५. अपूर्वकरण ) ८. अनिवृत्तिकरण १०. सूक्ष्म सापराय १२. क्षीणमोह | १३. संयोग कवली १४. प्रयोग केवली
उपशम श्रेतीक्षपकथगी अपेक्षा
०
१०
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०
सिद्धावस्था (मोक्ष) में जाता है।
०
५२. जीव किस पुरण-स्थान में मरण करके किस गति में जाता है यह बताते हैं।
(देखो गो० क. गा०५५६, को. नं. १६१)
गुण-स्थान
गति
१. मिथ्यात्व में मर कर
नरक, तिर्यच, मनुष्य, देव इन चारों गतियों में जाता है ।
२. सासादन में
,
नरक गति बिना शेष तीन गतियों में जाता है। मरण नहीं होता।
३. मिश्र गुण-स्थान में
४, मसंयत में मर कर
नरकादि चारों गतियों में जाता है।
५. देशसंयत में
देवगति में जाता है।
६. प्रमत्त गुण में मर कर
{क्षपक श्रेणी में मरण नहीं होता)
७. अप्रमत्त , ८, प्रपूर्वकरण , ६. अनिवृत्तिः ॥ १०. सूक्ष्म सां० . , ११. उपशांतमोह ,, .. १२. क्षीण मोह गुण में
सर्वार्थसिद्धि में अहमीन्द्र होता है ।
मरण नहीं होता
१३. सयोग फेवली गुरण में
१४, प्रयोग केबजी के जीव
सिद्ध गति गति में (मोक्ष) जाता है।