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________________ ( ७६७ ) पड़े तो ७ चढ़े तो ६ (मरण हो तो ४थे गुण) । १० (नहीं चढ़ता) , स्वे गुण . A ५. अपूर्वकरण ६. अनिवृत्तिकरण १०. सूक्ष्म सांपराय में ११. उपशांत मो० Ja ५. अपूर्वकरण ) ८. अनिवृत्तिकरण १०. सूक्ष्म सापराय १२. क्षीणमोह | १३. संयोग कवली १४. प्रयोग केवली उपशम श्रेतीक्षपकथगी अपेक्षा ० १० . . ० ० सिद्धावस्था (मोक्ष) में जाता है। ० ५२. जीव किस पुरण-स्थान में मरण करके किस गति में जाता है यह बताते हैं। (देखो गो० क. गा०५५६, को. नं. १६१) गुण-स्थान गति १. मिथ्यात्व में मर कर नरक, तिर्यच, मनुष्य, देव इन चारों गतियों में जाता है । २. सासादन में , नरक गति बिना शेष तीन गतियों में जाता है। मरण नहीं होता। ३. मिश्र गुण-स्थान में ४, मसंयत में मर कर नरकादि चारों गतियों में जाता है। ५. देशसंयत में देवगति में जाता है। ६. प्रमत्त गुण में मर कर {क्षपक श्रेणी में मरण नहीं होता) ७. अप्रमत्त , ८, प्रपूर्वकरण , ६. अनिवृत्तिः ॥ १०. सूक्ष्म सां० . , ११. उपशांतमोह ,, .. १२. क्षीण मोह गुण में सर्वार्थसिद्धि में अहमीन्द्र होता है । मरण नहीं होता १३. सयोग फेवली गुरण में १४, प्रयोग केबजी के जीव सिद्ध गति गति में (मोक्ष) जाता है।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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