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{ ७४६ ) ३४. कौन से गुण स्थान में कितने प्रकृतियों का सत्य रहता है। इसका विवरण श्वपक श्रेणी की अपेक्षा
से जानना सब प्रकृतियां १४८ 1 (देखो गो का गा० ३३३ से ३४२ और को० नं० ११६)
गुण स्थान
सत्व
असत्व
स
व
विशेष विरण
व्युञ्छि।
१ मिथ्यात्व
२ सासादन
३= प्राहारकनिक २, तीर्थकर प्र.१ये ३ जानना
३ मिश्र
१ - तीर्थकर प्रकृति जानना
४
असंयत्त
१-नरकायु १ जानना
५ देशसंयत
६
प्रमत्त
१ - असत्व = नरकायु, १८च्युच्छित्ति-तिर्यंचायु २ =नरका १, तिपंचायु १, ये २ जानना २-नरक-तिर्यंचायू ये २,८-अनन्तानबन्धी ४, दर्शन मोहनीय के ३, देवायु १, ये ८ जानमा
७ अप्रमत
८ अपूर्वकरण
क्षपक
१०=२+५=१० जानना (क्षपक श्रेणी की अपेक्षा)
अनिवृत्तिकरण क्षपक श्रेणी की अपेक्षा १ला भाग 1
१०
।१३८
।
८
१०- ८वो गुण स्थान के समान जानना। १६ = स्थानसि प्रादि महानिदा ३, नरक गति १, नरक गत्यानपूर्वी १, तिर्यचगति १, तिथंच गत्यानुपूर्वी १, एकेन्द्रियादि जाति ४, उद्योत १, प्रतिप, साधारण १, सूक्ष्म १, स्थावर१ये १६
२रा भाग
२६-१०१६+२६, अप्रत्याख्यान ४, प्रत्याख्यान ४ ये-जानना।
३रा भाग
३४- .६+-३४,१-नपुसक वेद जानन,
४था भाग
३५ . ३४+१=३५, १ - स्वोवेद जानना