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। ४५० )
५वा मान
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३६-३५ + =३६, ६-हास्य, रति, परति, शोक, भय, जुगुप्सा, ये : जानना
६यां भाग
४२ %D३६. ६-१२,१=पुरुषवेद मानना
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७वा भाग
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८यां भाग
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४३ = ४२+१ ४३, १ संज्वलन क्रोध ४४.: ४३+१=४४, १= ॥ मान ४५ = ४४ । १-४५, १= , माया
स्वा भाग
सुरम स० क्षपक
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६
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४६-४५-१-४५,१%
, लोभ
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११ उपशांत मोह
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१२ क्षीण मोह
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४७ ४+१-४० १६-शान के , । दर्शनावरण के ४, मोहनीय के २ (निद्रा, प्रचला) अन्तराय के ५११६ जानना
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१३ सयोग के०
। ६३
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६३ =शावरण , दर्शनावरण के ., मोहनीय के २८, ग्रायुकर्म के ३, (नरकतिर्यच-देव, मु। नाम १३, नरकद्विक २, तियंप द्विक, एकेन्द्रियादि जाति ४, उद्योत । मातप १, साधारण १, मूक्ष्म , स्थावर १ ये १३) अन्तराय के ५ ये ६३ जानना ।
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।
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६:
१४ प्रयोग के.
द्विचरम समर । पर्वत
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६३ - १३३ गुण के समान जानना ७२+साता या असाता में से-ई१ नाम कर्म के ७० (शरीर ५, बंधन ५, संघात ५, संस्थान ६, अंगोपांग ३, संहनन ६, स्पर्श, रस ५, गंध २, वर्ण ५, स्थिर-पस्थिर २,., शुभ-अशुभ २, सुस्वर-कु. वर २, देवढिक २, विहायोगति २, दुर्भग १, निर्माण, प्रयशः कीर्ति १, अनादेय १. प्रत्येक १, अपर्याप्त प्रगुरुलघु १, उद्योत १, परघात १, उच्छवास १, ये ७.) नीचगोत्र १, ये ७२ जानना
प्रयोग केली । १३५ ग्रत समय में ।
। १३
। १३
१३५=६ +७२-१३५, १३-साता या असाता में से कोई १, मनुष्यायु १, नामकर्म के १. (मनुष्यद्विक २, पवेन्द्रिय जाति । सुभग १, अस १, बादर १, पर्याप्त पादेय १, यश: कीर्ति १, तीर्थकर १ ये १०) उच्चगोष,ये १३ मानना
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