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अवगाहना-कोनं १६ से ३४ देखो धंध प्रकृतियां- १२० पर्याप्त अवस्था जानना, ११२ अपर्याप्त अवस्था में अन्धयोग्य 100 में से नरक-तियंच-मनुष्य-देवायु ४, माहारकढिक २,
नस्कदिक ३ ये ८ घटाकर विग्रह गति में ११२ प्रकृतियों का बन्ध जानना को १ से १३ में देखो। जब प्रकृतिया-१२२ पर्याप्त अवस्था में जानना । ११८ अपर्याप्त अवस्था में उदययोग्य १२२ में मे नरकादि गत्यानुपूर्वी ४, घटाकर ११८ विग्रह
गति में जानना, विपत्त को न०१ से १३ में देखो। सस्व प्रकृतियाँ-१४८ भंगों का विवरण को नं०१ से १३ में देखो। सल्या-मनन्तानन्त जानना । क्षेत्र--सबलोक जान्दना । स्पान-मलोक जानना। काल-जाना जीवों की अपेक्षा सरंकाल जानना। एक जीव की अपेक्षा तीन समय कम क्षुद्रभव से ३३ सागर काल तक जानना । अन्तर--माना जीवों की अपेक्षा कोई अन्तर नहीं। एक जीव को अपेक्षा निग्रह गति में एक समय से तीन समय तक प्राहारक न बन सके । माति (पोनि)--४ लाख योनि जानमा । कुल--१६६ लाश कोटिफूल जानना ।
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