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चौतीस स्थान दर्शन
(६८६ ) कोष्टक नं. ६५
अनाहारक में
१५ लेश्या
को.नं.१ देखो
प्रलेण्या जानना
१६ भव्यत्वं मन्य, प्रभव्य (१) मनुष्य गति में
१भव्य जानना ।
को० नं०१८ देसो १७ सम्यक्त्व मित्र घटाकर (५). (१) मनुष्य गति में
१क्षायिक सम्यक्त्व कोनं०१८ देखो
| को० नं. १६ देलो
१ लेश्या (१) नरक गति में को नं० १६ देखो कोनं० १६ देखो | का भंग
को.नं. ६ देसो (२) तिर्यच गति में
मंग । १ लेश्या | ३-१ के मंग | कोनं० १७ देखो कोनं० १७ देखो को.२०१७ देखो (३) मनुष्य गति में | सारे मंग
लेश्या |६-३-१-१ के भंग को० नं० १८ देखो कोनं० १८ देखो
को. नं०१५ देखो (१) देवगति में
१मंग १लेश्या ३-३-१-१ के मंगको नं. १६ देखो कोनं.१६ देखो को नं०१६ देखो
१मंग १अवस्था (१) चारों गति में हरेक में कोनं १६ से १६ कोनं १६ से | २-१ के मंग
देखो
देखो को. नं. १६ से १६ देखो
| सारे भंग १ सम्यक्त्व | (१) नरक गति में को.नं. १६ देखो कोनं०१६देखो । १-२ का भंग | को० नं. १६ देखो (२)तियंच गति में
है भंग । १ सम्यक्त्व १-१-१-१-२ के मंग को.नं. १७ देलो सोनं०१७ देखो को.नं. १७ देखो (३) मनुष्य गति में सारे भंग १सम्यक्त्व १-१-२-१-१-१-२ को न.१८ देखो कोनं०१५ देखो के मंग कोन०१८ देखो