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ऊपर के कोष्टक का विशेष स्पष्टीकरण :
१.ज्ञानावरण के ५ प्रकृति :-मतिज्ञानावरण, श्रुतज्ञानावरण, अवधि ज्ञानावरण, मनः पर्यय ज्ञानावरण, केवल ज्ञानावरण ये ५।
२. वर्शनावरण के प्रकृति-मुल प्रकृति जानना । ६ प्रकृति -मूल प्रकृतियों में से स्थानगृद्धि. निद्रानिद्रा, प्रचलनचलाये ३ महानिद्रा घटाकर जानना । ४ प्रकृति-ऊपर के ६ में से निद्रा मोर प्रचलाये २ घटाकर ४ जानना 1
३.वेदनीय के
४. मोहनीय के २२ प्रकृति-मोहनीय के २८ प्रकृतियों में से सम्यग्मिथ्यास्त्र, सम्यक्त्व प्रकृति इन दोनों का बध नहीं होता । इसलिये ये २ घटाने से २६ रहे। इनमें तीन वेदों में से एक समय में एक ही वेद का बंध होता है इसलिये दो बेद कम करने से २४ रहे। इनमें हास्य-रति में से कोई १, और परति-शोक इन जोड़ों में से कोई काही वध होता है इसलिमे २४ में से २ घटाने से २२ प्रकृति जानना ।
२१ प्रकृति-ऊपर के २२ में से मिथ्यात्व प्रकृति १ घटाकर २१ जानना ।
१७ प्रकृति-ऊपर के १ में से अनन्तानुबंधी कषाय ४ घटाकर १७ जानना। १३ प्रकृति-ऊपर के १७ में से अप्रत्याख्यान कषाय ४ घशकार १६ आना।
प्रकृति-ऊपर के १३ में से प्रत्याख्यान कषाय ४ घटाकर ह जानना।
५ प्रकृति - ऊपर के ६ में से हास्य-रति में से १, अति-शोक में से १, और भय-जुगुप्सा ये २ में से घटाकर 6-४-५ जानना ।
४ प्रकृति-ऊपर के ५ में से पुरुषवेद १ घटाकर ४ जानना । ३ प्रकृति-ऊपर के ४ में से संज्वलन क्रोध १ घटाकर ३ जानना। २ प्रकृति-ऊपर के ३ में से संज्वलन मान १ घटाकर २ जानना । १ प्रकृति- ऊपर के २ में से संज्वलन माया १ घटाकर १ जानना ।