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________________ ( ७३६ ) ऊपर के कोष्टक का विशेष स्पष्टीकरण : १.ज्ञानावरण के ५ प्रकृति :-मतिज्ञानावरण, श्रुतज्ञानावरण, अवधि ज्ञानावरण, मनः पर्यय ज्ञानावरण, केवल ज्ञानावरण ये ५। २. वर्शनावरण के प्रकृति-मुल प्रकृति जानना । ६ प्रकृति -मूल प्रकृतियों में से स्थानगृद्धि. निद्रानिद्रा, प्रचलनचलाये ३ महानिद्रा घटाकर जानना । ४ प्रकृति-ऊपर के ६ में से निद्रा मोर प्रचलाये २ घटाकर ४ जानना 1 ३.वेदनीय के ४. मोहनीय के २२ प्रकृति-मोहनीय के २८ प्रकृतियों में से सम्यग्मिथ्यास्त्र, सम्यक्त्व प्रकृति इन दोनों का बध नहीं होता । इसलिये ये २ घटाने से २६ रहे। इनमें तीन वेदों में से एक समय में एक ही वेद का बंध होता है इसलिये दो बेद कम करने से २४ रहे। इनमें हास्य-रति में से कोई १, और परति-शोक इन जोड़ों में से कोई काही वध होता है इसलिमे २४ में से २ घटाने से २२ प्रकृति जानना । २१ प्रकृति-ऊपर के २२ में से मिथ्यात्व प्रकृति १ घटाकर २१ जानना । १७ प्रकृति-ऊपर के १ में से अनन्तानुबंधी कषाय ४ घटाकर १७ जानना। १३ प्रकृति-ऊपर के १७ में से अप्रत्याख्यान कषाय ४ घशकार १६ आना। प्रकृति-ऊपर के १३ में से प्रत्याख्यान कषाय ४ घटाकर ह जानना। ५ प्रकृति - ऊपर के ६ में से हास्य-रति में से १, अति-शोक में से १, और भय-जुगुप्सा ये २ में से घटाकर 6-४-५ जानना । ४ प्रकृति-ऊपर के ५ में से पुरुषवेद १ घटाकर ४ जानना । ३ प्रकृति-ऊपर के ४ में से संज्वलन क्रोध १ घटाकर ३ जानना। २ प्रकृति-ऊपर के ३ में से संज्वलन मान १ घटाकर २ जानना । १ प्रकृति- ऊपर के २ में से संज्वलन माया १ घटाकर १ जानना ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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