________________
चौंतीस स्थान दर्शन
१
६ गति
को० न० १ देखो " इन्द्रिय जाति संज्ञी पं० जाति
१
८ काय
२
को० नं० १८ देखो
६. योग कार्माणकाय य
१० वेद
१
को० नं० १ देखो
मनुष्य गति जानना
(१) मनुष्य गति में
१ संज्ञी पंचेन्द्रिय जाति को० नं० १८ देखो
(१) मनुष्य गति में
१ असकाय जानना को० नं० १८ देखो
अयोग जानना
गत वेद जानना
| ६८६ } कोष्टक नं० ९५
!
1
चारों गति जानना
(१) नरक- मनुष्य- देवमति में हरेक में १ संज्ञी पंचेन्द्रिय बालि को० नं० १६-१८-१६ देखो
(२) तियंच गति में ३-१ के संग को० नं० १७] देखो
अनाहारक में
३
(१) नरक गनि में १ नपुंसक वेद जानना
१ जाति [को० नं० १७ देखो
१ काय (१) नरव-ममुध्व-देवशांत को० नं० २६-८में हरेक में १९ देख
१ सकाय जानना को० नं० १६-१८-१६ देखो
| २) तियंच गति में ६-४-१ के भंग को० नं० १७ देषो
१
| (१) चारों गतियों में
हरेक में १ का भंग कार्मारणकाय योग विग्रह | गति में जानना को० नं० १६ मे १९ देखी
|
१. गति
१ जाति १ जाति को० नं० १६-१०- को० नं० १६१६ देखो १८-१९ देखी
५
१ काय को० नं० १७ देखो
१ गति
१ जाति | को० नं० १७ देलो १ काय को० नं० १६१५-१६ देखो
१ काय को० नं० १७ देखो
१
१
को० मं० १६ मे को० नं० १६ से १६ देखो
१६ देखो
↑
१
को० नं० १६ देखो को० नं० १६ देखी