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चौतीस स्थान दर्शन
क्र० स्थान सामान्य शशलाप
१
R
K
१ गुण स्थान १-२-४-१३-१४ से ५ गुण० जानना
८
२ नीव समास संज्ञी पं० पर्यात १, अपर्याप्त अवस्था ७. ये जानना
३ पर्याप्त
को० नं० १ देखो
!
पर्याप्त
नाना जीवों की अपेक्षा
* (१) मनुष्य गति में १४वे गुरंग स्थान जानना
(१) मनुष्य गति में
१ मंत्री पं० [पय अवस्था को० नं० १८ देखी
६
(१) मनुष्य गति में
६-६ के मंग-को० नं० १८ देखो
( ६८४ ) कोष्टक नं० ६५
एक जीव के नाना एक जीव के एक समय में समय में
१ गुण० ११४वे गुण ० जानना
१ समास
१ भंग
को० नं० १६ देखो
१ गुण ० १४वे गुरण ०
जानना
१ समास
१ भंग को० नं० १८ देखो
अपर्याप्त
नाना जीवों की अपेक्षा
६
(१) नरक गति में १ ले ४षे
भोगभूमि में १-२-४ (३) मनुष्य गति में
:
सारे गुरग ० स्थान अपने अपने स्थान के सारे गुण ०
(२) नियंच गति में १-२ स्थान जानता
अनाहारक में
जीव के नाना समय में
३
(१) नरक देवगति में हरेक में ३ का भंग-को० नं० १६-१६ देखो
1 १ समास
१- ४-१३ मोसम में १२.४ (x) देव मे १ २.४ ७ अपर्याप्त अवस्थ (१) नरक मनुष्य- देवगति को० नं० १६-१८ में हरेक में १६ देखो १ सोपं जानना
पर्याप्त
१ जीव के एक समय में
5
१ गुरण० अपने अपने स्थन के सारे गुण ० में से कोई १
गुण० जानना
१. समास
| को० नं० १६१०- १६ देखो
को० नं० १६-१०-१२ दमो
१ समाम
१ समाम
(५) तियंच गति में ७-६-१ के भंग-को० न० क० नं १७ देखो | को० नं० १७ १७ देख देखो १ भंग को० नं० १६-१६ देखो
१ मंग | को० नं०१६देखो