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चीतीम स्थान दर्शन
कोष्टक नं. ६८
मूटम मापगय संयम में
क०/ स्थान | सामान्य
पर्यास
पान्नाप
| अपर्याप्त
नाना जानों की अपेक्षा
एकजीव को अपना । एक जीव की अपेक्षा . नात नमय पाकममय में
2-9-८
मुमना- यहां पर
या अवस्था नहीं | होती है।
, मंग कोनं.१दम्बा
मंग को.नं.१दरों
१ गुग स्थान
१ मुझम सापराय जानना २जीव ममास १ मही पंचेन्द्रिय पर्याप्त (१) मनुन्य गति में मंत्री पंचेन्द्रिय पर्याप्त जानना
कोः न०१८ देखा ३ पर्याप्ति
६ को नं. १ देखो (१) ममृय गनि में का भंग
मो. नं. १ देखी कानं. देखा ४ प्राण
भग _ को नं. १ देखो । (१) मनुष्य मनि में १० का भंग
व.न. पी कोन०१८ देखो ५ संज्ञा
परिग्रह मंझा जानना १परिग्रह मंजा जानना को नं. १८ देखी को न.१ या ६ गनि
१ मनुष्य गति जानना ७ इन्द्रिय जानि
पंचेन्द्रिय जाति जानना . काय
१ पसकाय जानना हयोग
मारे भंग कांना देखो । (१)मनुष्य गति में ६ का भंग
| को.नं. १ दवा कोनं०१८ देखा १० वेद
| (0) अपगत वेद
कोन.. एका
१
योग का नं.१ देखो
११ कपाय
मुम्म लाभ नानना
(१) मनुष्य गति में मुम लोभ जानना
को नं. १ देखो