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प्रवगाहना- हाथ से ५२५ धनुप न जानना । बंध पकृतियाँ -23 को नं. ६ देखो उदय प्रकृतिमा-३ को ०६ की ८१ प्रऋतियों में मेन'नक वेद, मत्री वेद १, उपशम गम्पनत्व ६ मनः पर्यम ज्ञान १, ये ४ प्र:
घटाकर ७७० का उदव जानना
वो. नं०७ की ५६ प्र में से ऊपर की ४ प्रा घटाकर ५.५ प्र० का उदय जानना । सत्व प्रकृतियां-१४६-१३६ को.नं. ६ चौर के समान जानना। संख्या ६९-२०६, २६६६६१.५ को० नं. ६ र ७ दला। क्षेत्र-लांक का अलव्यानचा भाग जानना । स्पर्शन -जोक का प्रयानवां भाग जानना । काल नाना जीवों की अपेक्षा गर्ब काल जानना । एक जीव की अपेक्षा अन्नम हर्न मे ८ वर्ष कम एक कोटिपूर्व वर्ष तक जानना । गुचना -* बर्षवं उम्र में सम्म धाराम कर की योग्यता होती है परन्तु हम्बावम्मा में ही ३० वर्ष तक संघमामयम अवस्था निर्दोष व प्रभाव
शाली रहने पर जो मुनिवन वारण करता है उसके ही अन्तमुंहत का परिहारविद्धि नावि उत्पन्न हो सकता है जो एक कोटि
पूर्व की शेष बाबु नक परिहार विशुद्धि संयम रह सकता है। अन्तर-नाना जोबों की अपेक्षा कोई चन्तर नहीं । एक जीच की अपेक्षा अन्त में देशांन अर्थपुदगल परावर्तन काल नक परिहारविशुद्धि
नयम पा न हो सके। मालि (घोनि)- १८ लाख मनुष्य योनि जानना । कम्म–१४ लाख कोष्टिकुन मनुष्य को जानना ।