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चौंतीस स्थान दर्शन
काय
९ योग
-२
१० वेद
ननकाय
१५. को० नं०६ देखो
को० नं० १ देखो
चारों गतियों में
१ सकाय जानना
को० नं० २६ से १९ देखी
११
श्री० मिश्रकाययोग १, मिश्रकायांग १, प्रा०] मिश्रकायांग १, कार्माण काययोग १
ये ४ घटाकर (११३
| (१) नरक - देवगति में हरेक में
६ का भंग
को० नं० १६-१६ देखो
| (२) तियंच गति में
६ के मंग
को० नं० १७ देखी ! (३) मनुष्य गति में
६-६-६-६ के भंग को० नं० १८ देखो
३
(१) नरक गति मे
"
नपुंसक वेद जानना को० नं १६ देखी (२) तिर्यच गति में
२ के भंग को० नं० १७ देखी (३) मनुष्य गति में
2--2---2 7२ के भंग
1
( ६४३ ) कोष्टक नं० ६०
१ मंग
१ भंग १० नं० १६-१० देखो
को०
1
१ भंग [को० नं० १७ देखो
।
मारे भंग को० नं० १८ देखो
१ योग
! श्री० मिथकाययोग १, ० मिश्रकाययोग १, मिथकाययोग १, कार्मारण काययोग १ मे ४ योग जानना (१) नरक- देवगति में हरेक में १-२ के मंग को० नं २६-१६ देखो (२) तिच गति में भोग भूमि में १-२ के संग को० नं० १७ देखो (2) मनुष्य गति में १-२-१-२-१-१-२ के मंग को० नं० १८ देखो २ पुरुष नपुंसक वेद
१ योप को नं० १६-१६ देखो १ योग
को० नं० १७ देखो
:
१ योग को०न० १८ देखो
१
पर्याप्तवन जानना
१
को० नं० १६ देखों को० नं० १६ देखो (१) नरक मत्ति में
१ नपुंसक वेद जानना को० नं० १६ देखो
१ वेद १ मंग नो० नं०] १७ देखी को० नं० १७ देखो
1
1 सारे भंग १ वेद [को० नं० १८ देखी को० नं० १८
(२) तिर्यंच गति में भोग भूमि में
१ पुन्य वेद जानना को० नं० १७ देखी
क्षायिक सम्यक्त्व में
७
१ मंग
१ मंग १ योग को० नं० १६-१९ को० नं० १६-१९ देखो देखो १ मंग १ योग
!
D
नं० १७ देखो 'को०नं १७ देखो
1
सारे मंग को० नं० १८ देखो
१ योग
1
१ भंग
[को० नं० १७ देखो
!
१ योग को० नं० १८ देखो
१
| को० नं० १६ देखो को० नं० १६ देखो
१ वेद को० नं० १७ देखी