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( ६५२ )
सूचना - आयक संख्य दर्शन में नियच गभग नहीं बन मराठी गोमट नारकर्मका २७ अवगाहना की नं १६ से १६ देखी ।
प्रकृतियां की।
नव प्रकृतियां
सदर प्रकृतियां -
या यातना ।
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क्षेत्र लोक का अगस्यानयां भाग जानना ।
स्पर्शनीक का प्रख्यातवां भाग जानना ।
मानव जीनों की अपेक्षा सर्वाल जानना एक जीन की अपेक्षा नागर का नाम जानना ।
अन्तर नहीं ।
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5- ६६ लाख कोटिकूल जानन! (नारको २५ व २६ गनुष्य १८, नियंत्र में नभचर स्वर १० ३१ न
कोटि जानन