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चौतीस स्थान दशन
कोप्टक नं०६१
संज्ञो में
ता
151 मनुष्च गति में । गार भन १जान मनप गति न मार भग । ध्यान
1-1-20-10-७-४-१-को० नं०१८ देखो बोन०१८ मा -8-5--12 भंग कोल नं ५% देना कोनं देखो V-E-६-१०नन ।
कोनं । दलो को० नं०१८ देवी २२ प्राथद ! सारे भार ' १ भग।
मारं भर
भंग कानं० १ दया , मौ० मिथकाययोग :
मनीयांग . वचन यांग , 40 मिश्रकाययोग १
प्रो० बाययोग. या. मिथकाययोग',
4. काग्रयोग १. फार्माण कायवान १ ।।
. ग्रा० काययोग १. ४ घटाकर (५१)
ये ११घटाकर (४६) ! (१) नरक गति में
साभंग १ मंग नरक गति में
सारे भंग
भंग ४६-४४-४० के मंग की नं०१६ देखो कान०१६ देखो ४२-३. के भंग कोनं-१६ देखो कोनं०१६ दलो म.न.१६ देखो
को० नं. १६देखो i(तियंव नि में - सारे भंग
भंग २) नियंच गति में गरे भन१ भंग ५.५-४६-66.25-9.0-61-कोनं १ देखी कोन०४७ देखा ४--४-३-- न दी को नं०१७ देवो
के भंग बी० १७ देखो ।
की नं.१७ देवो 1 ) मनुष्य गनि में
! मारे अंग भंग (1) मनुष्य गति में
मारे भंग
भंग ५६.६४२-३७-२२-२०- को नं. १८ देखो कोनं १ देखी ४6-58-३३-12-02-2:.को० नं०१८ दती का ०५०१८ देख २२-१६-१५-११-१३-१२
.३३ के मंग ११-१०-२०-६-La-४५-४१
को नं. १८ देखो के भंग को.नं. १५देखा,
(४) देवति में ' नारे मंग१ मंग ) देवगति में
। सारे मंग , भंग ४३.३८-३६-४२-३३-३३. कोनं०१६ देखो कोन०१९ देख ५ -४५-४१.४६-४४-१०- का नं०१६ देखो कोनं. १६ देबो ३३ के भंग ४० के भंग
कोल्नं१६ दवा को० न०१६ देवी २३ भाद . माभंग १ भंग
नारे भंग
भंग केवल ज्ञान १. (१) नरक गनि में कोन०१६ दखो बोनं १६ दलो कुअवधि जान १, मनः केवल दर्शन १, २२-२४-२५-२-२७ के भंग
' पर्वय जान १, मित्रसायिक सन्धि ये घटाकर (४५)
.
४?