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चौतीस स्थान दर्शन
० स्थान सामान्य मालाप
२
मिथ्यात्व सासादन
१ गुण स्थान
२ जीव समास संशी पंचेन्द्रिय के
१२
1
पर्याप्त अपर्याप्तत ये २ घटक (१२) |
३ पर्याप्त
मन पर्यात घटाकर
५ संजा
1
ε
४ प्राण मनोबल प्रारण घटाकर ()
पर्याप्त
को० नं० १ देतो
नाना जीव की
I
। (१) (५) |
1
१ मिथ्यात्व
(१) नियंच गति में
(१)
३
क्षा
१ मिध्यात्व जानना
६ पर्याप्त अवस्था तिर्यच गति मे
६ जीव समास पर्याप्त
जानना
को० नं० १७ देखो
५
तिर्यच गति में ५-४ के मंग जानना को० नं० १७ देख
(१) नियंच गति में
६-८-७-६-४ के भंग को० नं० १७ दंखो
(१) तियंचगति में
४ का मंग को० नं० १७ देखो
1 ६६३
कोष्टक नं० ९२
४
एक जीव के नाना एक जीव के एक समय में समय में
·
१ भंग
| को० नं० १७ देखो
१ समास
१ समास
| को० नं० १७ देखो को० नं० १७ देखो.
१ मंग ४ का मंग
|
।
१ मंग ४ का मंग
1
! १ भंग को०नं० १७ देखो
९ मंग १ भंग को० नं० १७, देखो 'को० नं० १७ देखो
I
नानजीना
६
(१) तिथंच गति में
|
६ जीव समास पर्याप्त जानना
की० नं० १७ देस्रो
३
(१) नियंत्र गति में
१-२ गुण स्थान जानना
* अपर्याप्त अवस्था
(१) नियंत्र गति में ३ का भंग को० नं० १७ देखो
रूप ६-५-४ के भंग भी होते हैं ।
७
१ जीव के नाना
समं
S
अनंशी में
अपयत
ཀྭ
स्थान
१ समास को० नं० १७ देखो
1
१ मंग को० नं० १७ देखो
.
१ मंग बचनवल, श्वासोच्छवास, को० नं० १७ देखो ये २ घटाकर (७) (१) तिर्यच गति में ७-६-५-४-३ के भंग को० नं० १७ देखो
४
पर्यासवत् जानना
१ मंग ४ का भंग
एक जीव क एक समय में
१ गुण०
i
१ समास फो० नं० १७ देखो
१ भंग को० नं० १७ देखो
१ मंग को० नं० १७ देखी
१ मंग
४ का भंग