________________
चौंतीम स्थान दशन
कोष्टक नं०१०
सायिक सम्यक्त्व में
(३) मनुष्य गति में
:-३-३-१-३ के भंग
को० नं०१८ देखो (४) देवगति में
३ का भंग को० नं. १६ देखो
१५ लेच्या
का० न० १दन
। (१) नरक मति में
३ का भंग
को नं०१६ देखो (२) नियंच गति में
भोग भूमि की अपेक्षा ३ क भंग
को नं. १७ देखो (३) मनुष्य गति में
६-३-१-०-३ के भंग
को० नं०१८ देखा (४) देवगति में
३-१-१ के भंग को० नं०१६ देखो
। सारे भंग १ दर्शन (३) मनुप्य गति में | सारे मंग
सदनि की नं०१५ देखो कोनं१८ देखो, ३-1-1-३ के भंग पो.न.१८ देलो कोनं०१८ देखो
। को नं०१८ देखो । १ भंग १ दर्शन । (४) देवति में
१ भंग १ दर्शन 'को न०१५ देखो को नं. १६ देखो ३-३ के भंग कोल्न १६ देखो कोनं० १६ देखो
को० नं १६ देखो १ मंगलेश्या ।
{ भंग १ लेश्या का० नं. १६ देखो को.नं. १६ देखो' कृष्णा-नील ये २ लेक्ष्या
| घटाकर (४) जानना
(१) नरक गति में। कोनं. १६ देखो कोनं १६ दखो १ भंग १ लेश्या ।। का भंग को नं०१७ देखो को नं० १७ देखो कोर नं. १५ देखो
(२ नियंच गति में
१ मंगलेश्या | भोग अनि में
को न १७ देखो को.नं. १७ देखो | सारे भंग १ नेक्ष्या १ का भंग को नं० १८ देवो कोनं १८ देखो को नं. १० देखो
(३) मनप्य गति में सारे भंग १ लेश्या १भंग
लेश्या ।६-६-१-१ के भंग को नं. १८ देखो को२०१८ देखो को.नं. १६ देखो कोग्न १६ देखो को नं. १ देखो
(४) देवगति में
१ भंग । १ लेया ३-१-१ के मंग को नं०१६ देखो को०नं. १६ देखो कोनं०१६ देखो
१६ भव्यत्व
भव्यत्व
चारों गलियों में हरेक में बीनं०१६ से १६ को.नं.१६ से। चारों गतियों में हरेक में कोन०१६ से १६ कोनं १६ मे १ भव्यत्व जानना । देखो
देखो १ व्यत्व जानना
देखो - १९ देखो को० नं १६ से १६ देखो।
को० नं. १ मे १६ देखो
१७ सम्यक्त्व
क्षायिक सम्यक्त्र ।
चारों गनियों में हरेक में । १क्षाषिक सम्यक्त्व जानना
पर्याप्तवत् जानना