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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०१०
क्षायिक सम्यक्त्व में
२२ पासव ४८
४४ सारे मंग । ! भंग
सारे भग१ मंग मिरयात्व ५, और मिथकाययोग है,
मनोयो। ४. दचनयोग ४, . मनन्नानूभन्धी कपाय ४ व०मिथकाययोग १,
और काययोन १, ये टाकर (4) बा०मिकामयोग १,
वै० कारयोग कामांसा काययोग १
मा० काययोग , ये घटाकर (४८)
स्त्री बे 11१) नरक गति में
मारे अंग
भंग 'ये १२ घटाकर २६) ४० का भग को० नं० १६ दखो कोनं १६ देखो (१) नरक गति में
मारे भंग १ मंग को नं०१६ देखो
| ३३ का भंग
कान १६ देखो को२०१६ देखो () तिर्यच गति में | सारं भंग १ भंन को० नं०१ देखो ४१ के भंग
को नं १७ देखो को नं. १७ देखो (२) गियर ननि में गार भंग १ भन दोन. १७ देखो
भोग । में
कोन १७ देखो कोनं०१३ देखो (1) मनुज्य गति में | सारे भंग
भंग | ३३ का मंन १२-३५-२२-२०-२-कोन. १८ देखो कोनं०१५ देखो को.२०१७ देखो । सारे मंग भं ग १६-१५-१४-१३-१२- .
(३) मनुष्म गति में को नं. १८ देखो को नं०१८ देखो १६-१०-१०-९-५-६
६३-१२-२-१-३३ के मंग ०-४१ के भंग
को० नं०१८ देखो को मं० १८ देखो
. (४) देवगति में
मारे मंगमंग (४) देवगति में
सारे भंग
भी ३३-६३-३३ के भंगको००१८ देखो कोनं०१६ देखो ४१-४०-६० के मंग को० नं. १६ देखो को नं. १६ देखो को नं. १६ देखो को गं०१६ देखो | सारे मंगभंग
. सारे भंग १ भंग ४५ (१) नरक गति में
को० नं. १६ देखो को.नं.१६ देखो| मनः पर्मय ज्ञान १, शायिक भाव ६, २६ का भंग
मयमासंयम १, स्त्रीवेद जान ४, दर्शन ६. को० १६ के के
कृष्णा-नील ये २ लेश्या | नधि ५, संबमाभंग में में उपचम भयोप
ये ५ घटाकर (४०) संयम १. गरागशम २ मम्यक्त्व पटाकर
(१) नरक गति में
सारे भंग १ भंग संयम १, गति, २ का भंग जानना
२६ का भंग
कोनं.१६ देखो को नं०१६ देखो कषाय ४ लिंग ३, (२) नियंच गनि में | सारे मंग
भंग को० नं. १६.के २७ के। लेश्या ६, अमयम १, भोर भूमि में २७ का भंग को.नं. १७ देखो कोनं०१७ देखो मंच में से १ क्षयोपशम । कोनं०१७ के २६ के मंग।
। सम्यक्त्व पटाकर २६