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चौतीस स्थान दर्शन
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२
२२ अम्रव मिथ्यारण ५. अनन्तानुबन्धी क० ४ ये घटाकर (४८)
*
I
) तिच गति में ६-१ -११-१-१० के भंग
१७ देशा (3) मनुष्य मति में
९-१० का भंग को० नं० १६ देखो
४४
औ० मिश्रकाययोग १, • मिश्रकाययोग १. आ० मिश्रकाययोग १. कामा काययोग १ ये ४ घटाकर (४४) (१) नरक गति में
सारे भग
६-१०-११-७-४-१-१- फो० नं० १० देखो
६-१० के भंग
को० नं० १ देखो (४) गति में
४० का मंग को० नं० १६ देखो (२) नियंच गति में
४२-७-४१ के भंग कोनं ० ० १७ देखी (३) मनुष्य शनि में
1 ७.२१ 1 कोष्टक नं० ७३
४
के मंग को० नं० १८ दे
4.
१ ध्यान कोन ८ देखी
१ प्यान
(२) तिर्वच गति में
१ भग़
१ प्यान
१ मंग [को० नं०१७ को १७ देखो भोग भूमि की अपेक्षा को० नं० १७ देखी को० नं० १७ देख
1
! का भग को० नं० १७ देखी
(६) मनुष्य गति में १-७-८ के भंग
१ ध्यान
मारे मंग को० नं० १६ देखी कोन० १२देखो
9. भंग
सारे भंग अपने अपने स्थान के मारे भगा में से मारे भंग कोई १ मंग जानना
जानना
.
●
की नं० १० देखी
६
७ भंग
सारे भंग [को० नं० १६ देवों को० नं० १६ देखी
(४) देवगति में का भंग को० नं० १६ देखी
बारे मंग १ भंग ४२-३०-२२-२०-२२ [को० नं० १८ देखी कोनं० १८ देखी
१६-१५-१४-१३-१२११-१०-१०-१-१
० काययोग १,
पाहारक काययोग १, स्त्री बंद १
ये १२ बटाकर (३६) (१) नरक गति मे
३३ का भंग को० नं० १६ देखो (२) तियंचगति मे भोग भूमि में ०३ का भंग को० नं० १७ देखो
(३) मनुष्य गति में । ३३-१२-३३ के मंग को० नं० १८ देखो (४) देवगति में ३३-३३-३३ के भंग
I सारे भंग १ मंग [को० नं० १७ देखो 'को० नं० १७ देलो
।
सारे भंग २६ मनोयोग ४ वचनयोग ४, अपने अपने स्थान के ! औ० काययोग १, नारे मंग जानना
|
و
अवधि दर्शन में.
नारे भंग को० नं० १० देखो
1
मारे भग को० नं० १२ देखी
!
1
सारे मंग को० नं० १६ देखो
|| को०
मारे भंग को० नं० १७ देखो
4
सारे भंग नं०] १५ देखो
१ ध्यान को० नं० १५ देखो
१ ध्यान को० नं० २६ देखी
१ मंग सारे भंगों में मे कोई १ मंग जानना
१ मंग को० नं० १६ देखो
१ मंग को० नं० १७ देखो
१ मंग को० नं० १८ देखो
सारं भंग १ भंग को० नं० १६ देखो [को० नं० १६ देखो