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अवमाहना-को० नं०१६ से १६ देखो। बष प्रकृतियाँ -१०१ को न०२ देखो। उस्य प्रतियां-१११ सदर प्रकृतिधा-१४५ माहारकटिक १, तीर्थककर प्र०१ये ३ घटाकर १४५ प्र० का सत्ता जानना । संस्था—पल्या प्रमस्वातवां झाग जानना।
... या संस्थाला जाग जानना। स्पर्शन--लोक का असंख्यातवा भाग ८ राजु, १२ गजु, को० नं. २ के समान जानना। कास नाना जीवों की अपेक्षा एक समय से पस्य का प्रसंस्थातवां भाग जानना । एक जीव की अपेक्षा एक समय से ६ प्रावली तक जानना । अन्तर-नाना जीवों की अपेक्षा एक समय से पल्य का मसंख्यातवां माग तक नोक में कोई भी सासादन मुख स्थान वाला नहीं बनता है।
एक जीव की अपेक्षा पल्य का प्रसंस्थातवां भाग से देशोन मर्षपुद्गल परावर्तन काल तक सासादन गुण स्थान न हो सके। धाति (योनि)-५६ लाख योनि जानना। (मग्निकाय ७ लाभ, वायुकाय ७ लाख, नित्यानिगोद ७ लाख, इतर निगोद ७ लाख ये २८ लाख
घटाकर घोष ५६ लाख जानना) -१८३ लाख कोटिकुल जानना । (अग्निकाय ३, वायुकाय ७ ये १० तास कोटिकुल घटाकर १८६ लाख कोटिकुल जानना)
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