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चौतोस स्थान दर्शन
कोष्टक नं. ८९
क्षयोपशम सम्यत्रत्व में
१६ भव्यत्व चारों गतियों में हरेक में
पर्याप्तवत् जानना । १ मत्य जानना
को.नं-१६ मे १६ देखो १७ सम्यक्त्व छयोपशम सम्व रद । चारों गतियों में हरेक में ।
पर्याप्तवत् जानना १क्षयोपशम जानना १८ संशी चारों गतियों में हरेक में
पर्याप्नवत जानना १ संशी जानना
को० न०१६ से १६ देखो १६ आहारक आहारक, प्रनाहारक । (१) नरक-देवगति में कोनं. १६१६ | कोनं०१६-(१) नरक-देवगति में को० नं०१६- को००१६हरेक में
है देखो । हरेक में
१६ देखो १८ देखो १ प्रहारक जानना
-1 के भंग को.नं०१६-१६ देखो
कोनं०१६-१६ देखो (२) तिर्यच मति में
(२) तिर्यच गति में । १-१- के भंग कोल्नं०१७ देखो कोन्नं०१७ देखो मोग भूमि में
को नं० १७ देखो कोनं०१७ देखो को० नं०१७ देखो
१-१के भंग (३) मनुष्य गति में
सारे भंग १ अवस्था । को नं० १७ देखो । १-१ के भंग
को नं.१८ देखो कोन०१६ देखो (३) मनुष्य गनि में । मारे भंग । १ अवस्था कोनं १८ देखो
१-१-१-१-१ के भंग को० नं. १८ देखो कोनं०१५ देखो
को० नं. १८ देखो २. उपयोग १ मंग ! १ उपयोग
१ उपयोग ज्ञानोपयोग ४,
रक गति में
को० नं० १६ देखो कीनं। १६ खो| मनः पर्षय ज्ञान घटाकर दर्शनोपयोग ३,
का भंग ये ७ जानना कोनं०१६ देखो
| (१) नरक गति में कोनं० १६ देखो कोन०१६ देने | (२) नियंच मति में
१ भंग । १ उपयोग का भंग ६-६ के मंग
को० नं० १७ देखी कोनं० १७ देखो को नं० १६ देखो