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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०६९
क्षयोपशम सम्यक्त्व में
।।
२ ।
के हरेक भंग में में उपशम-'
. २७-२५ के हरेक मंग धायिक २ सम्यक्त्व घटा-'
| में से १ क्षायिक सम्यक्त्व कर ३२-२८-२९. भग
पटाकर -२६-२४ के जानना
भन जानता २६ का भंग कोन०१८
(४) देवगन में
सारे भंग |
१ भंग के २७ के भय में में १ ।
२६-२४-२४ के भंगको० नं० १६ देखो कोनं०१९ देखो भाबिक सम्यक्त्व घटाकर ।
को० नं० १९ के२६ वा भंग जानना
२६.-२६ के हरेक २६-२७ के मंग को नं० ।
मंन में से उपशम और १८ के ३१(७वें गूण के)।
क्षायिक ये २ सम्यक्त्व और भीग भूमि के २६ के
पटाकर २६-२४-२४ के भंग में से उपचम-क्षायिक
भंग जानना ये२ सम्यक्त्व घटाकर
२६-२७ के भग जानना (४) देवयति में
सारे भंग भंग २५ का भंग को० नं. १ का - नं. १६ देखो कोनं. १६ देतो, के २६ के भंग में में १ उपनाम-सम्यक्त्व घटाकर २५ का भग जानना २७-२४ के भंग को० नं.
के २६-२६ के हरेक ! भंग मे म पवम-क्षायिक दे २ नम्यक्त्व घटाकर २७-२४ के मंग जानना २४ का भंग को० नं० १६ के २५ कं भंग में से १ | सायिक सम्पद घटाकर २१ का भंग जानना