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चौतोस स्थान दर्शन
कोष्टक नं. ८६
क्षयोपशम सम्यक्त्व में
१०
: (२) तिर्यच गति में
१ भंग । १ भंग । भोग भूमि में
कानं०१७ देखी जोनं १७ देखो ३ का भंग को० नं. ७ देला
नन्धि १६ का भंग भी। ४प्रारा
१ मंग १ भंग को० नं०१ देखो । चारों गतियों में हरेक में कौर नं. १६ से १९कोल्नं०१६ से ११) नरक-मनुष्य-देवगति को नं. -१८. को००१६-१८
१०का भंग । देखो १६ देखो | में हरेक में
१६ देखो | १६ देखो को न- १६ मे १६ देखा ।
७ का मंग को० नं० १६-१८-१६ देखो (२) तिर्यच गति में ! भोग भुमि में
का नं०१७ देखो को२०१७ देखो ७ का भंग
को.नं. १७ देखा । ५गना
१ मंग । १ भंग
४
| १ भंग १ भंग को नं. १ देवी (१) नरक देव-गति में हरेक म को नं०१६-१९ कोनं०१६- । (१) नरक-दंवगति में कोनं०१६-१६ को ०१६४ का भंग
| १६ देखो हरेक में
देखो । १६ देखो को०म०१६-१७ देखो
४ का भंग : (२) तिर्यच गति में
को० नं०१६-१६ देखो ४.४ के मंग को० नं०१७ देखो को२०१७ देखो (२) निर्यच गति में
१ भंग १ भंग को नं०१७ देना
भोग भूमि में को० न० १७ देखो कोनं० १७ देखो । (३) मतृप्य मनि में
1 १ भंग १ भंग ४ का भंग 3-2-४के भंग
को नं०१८ देखो कोन०१८ देखो को नं. १७६सो मो. नं०६८ देखो
(३) मनुष्य गनि ने
भंग । मंग
वो० न०१८ देखो सोनं०१८ देखो
को० नं०१८ देखो ६ गति
१ गति ! यति कोनं०१ देखो चारों गति जानना
चारों गति जानना
गति
गति