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चौंतीस स्थान दर्शन
क्र० स्थान सामान्य आलाप
१ गुरण स्थान
१
३रा मिश्र गुण स्थान
२ जीव-समास
१
संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त
६ पर्याप्ति
को० नं० १ देखो
२
४ प्रारण
१०
को० नं० १ देखो
५ संज्ञा
को० नं० १ ६ गति
७ इन्द्रिय जाति पंन्द्रिय जाति
८ कार्य
को० नं० १ देवी
४
१
१
त्रसंकाय
पर्याप्त
नाना जीवों की अपेक्षा
३
चारों गतियों में को० नं० १६ मे
१
चारों गतियों में हरेक में ३रा मिश्र गुगा० जानना
को० नं० १५४८ दे
( ६११ ) कोष्टक ०६
१
हरेक में १ संज्ञी पं० पर्यात १२ देखो
१०
चारों गतियों में हरेक में २ का भंग को ० न० १६ मे १६ देखो
४
चारों गतियों में हरेक में-४ का भग-को० नं० १६ मे १६ देखी
४
नागें गति जानना
को न० ६ मे १६ देखी
१
च से गतियों में हरेक में १ पंचेन्द्रिय जाति को० न० १६ से १६ देखी
चारों गतियों में हररु म १ सकाय को० नं० १६ मे १६ देखो
एक जीव के नाना समय में
४
मिश्र में (सम्यक्त्व मार्गाका ३रा भेद)
अपर्याप्त
१ गुण
६
१ मंग
चारों गत्तियों में हरेक में ६ का मंग को० नं० | को० नं० १६ १६ से देखो' को० नं० १६ से १६ देखो १६ मे १६ देखो
? मंग
एक जीव के एक समय में
५
१ गुण
१ समास
१ समास
को० नं० १६ से १६ देखो को० नं० १६ से १६ देखी
९ मंग
१ मंग को० नं० १६ मे १६ देवो को० नं० १६ से १६ देवो
१ भंग १ मंग को० मं० १६ मे १९ देव को० नं० १६ मे १६ देख
१ गति
१ गनि
१ जाति
० मं० १६ मे १६ देखो को० नं० १६ मे १६ खो
१ जाति
६-७-६
सूचना: यहां पर अपर्याप्त अवस्था
नहीं
है