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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं. ८०
अलेश्या में
स्थान सामान्य प्रालाप
पर्याप्त
अपर्यात
नाना जीवों की अपेक्षा
एक जीव के नाना समय में
एक जीव के एक समय में
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१ चौदबे गुगा स्थान जानना १ संत्री पंचेन्द्रिय पर्याप्त जानना
अपर्याप्ति अवस्था नहीं होती।
१ गुन्ग-स्थान २ जीव समास ३ पर्याप्ति
को.नं.१ देखा ४ पाए ५ संज्ञा ६ गति ७ इन्द्रिय जाति
काय है योग १० बेद ११ कषाय १२ ज्ञान १३ संबम १४ दर्शन १५ लेश्या १६ भव्यत्व १७ सम्यक्त्व १८ सजी १६ माहारक २० उपयोग २१ ध्यान २२ अानव
६ का भंग-कोर नं. १८ देखो १ ग्राम प्रारण जानना को देखो (0) अपगत संज्ञा जानना १ मनुष्य गति १ पन्द्रिय जाति १त्रमकाय (0) अयोग (0) अपगत बंद (0) अकवाय १ केवल जान १ पयाख्यात १ केवल दर्शन (0) अलेश्या १ भन्य १क्षायिक मभ्यवत्व .. (0) अनुभय (न संजीम अमजो १ अनाहारक (को० नं०१४ देखो) २ जानोपयोग-दर्शनोपयोग-युगपत् ॥ १ युपरन-क्रिया नितिनी जानना , (०) मानव
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