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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं. १
भब्व में
देखो
कार्माणकाय योग
माहारक काय योग१ . ये ४ घटाकर (५३)
ये ११ घटाकर (४६) (1) नरक गति में
को.नं०१६ देयो कोनं. १६ (१) नरक गति में को. १६ देखो को नं. १६ ४६-४४-४० के भंग
४२-३३ के भंग को नं. १६ देखो
को. नं०१६ देखो | (२) तिर्यंच गति में
सारे मंग , १ भंग (तिर्यच गति में | मारे मंग . १ मंग ६६-८-१९-४0-11-५१.कोनं.१० देना को० नं०१७ ३७-३८-३६-४०-४२.४४-कोर नं०१७ देखो | को० नं. १७ ४६-४२-३७-५,०-४५-४१
देखो ३२-३३-३५-३८-३६-४३. के भंग-को० नं. १७
३८-३३ के भंग-को. देखो
नं०१७ देखो (1) मनुष्य गनि में सारे भंग । १ भंग
मनुध्यमांत में मारे भंग १ भंग ५१-४६-१२-३७ २२-२०. को० नं. १८ देखो को.नं १८ ४४-३६-३३-१२-२-२. को.नं. १५ देखो . को० नं०१८ २२-१६-१५-१४.१३-१२-।
देखो
४३-३८-३३ के मंग- । ११.१०.१०.६५-१.०-१....
कोन०१- देखो ४५-४१ के भंग-को ।
(४) देवति में
मारे भंग । १ भंग नं०१८ देखो
४३-३८-३३-४२-१७.३३कान ११ देखा ! को नं. १९ । (४) देवगति में
। मारे अंग भ ग : के भंग-को० नं०
वंती ५०-४५-८१-४६-४४०. को० न०१६ देत्री को नं० १९ देखो '१० के भंग-को० नं०१६
देखो देखो २३ भाव
५२ । मारे भग भंग
नेर भंग भंग अभय चटाकर (२) (१ नरक गनि म
को० नं १६ देतो को० न०१६ कुअवधि जान, मनः २५ का भंग-को. नं.
पर्यय ज्ञान वे २ घटाकर १६ के २६ के भंग गे में
(५०) जानना १ अनन्य घटाकर २५ का
। (१) नरक गति में को। नं०१६ या नीनं०१६ भग जानना
का मंग-को 10 •४-५-०८-२७ के मंग
१६ के २५के भंग में से को.नं. १६ के समान
? प्रभव्य घटाकर २४ जानना
का भंग जानना
५२
देखो