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चौतारा स्थान दर्शन
क्र० स्थान मागायल
स्थान
१
I
१ गुण स्थान
सासादन] गुर
२ जीव समास
मंत्री पं० पर्याप्त १. अपर्याप्त अवस्था ६ ये ७ जानना
१
6.
नाना जीव को
क्षा
f
चारों गनियों में हरेक में
१ मासादन १० जानना को० नं० १६ से १६ देखो
१ मंजी पं० पर्याप्त
(१) चारों गतियों में हरेक में १ संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त अवस्था जानना को० नं० १६ से १६ देखो
( ६०२ ) कोटक नं० ८५
एक जीव के नाना एक जीव के एक । समय मे
1 समय में
१
५
१ समास
१ समास
को० नं० १६ से १६ को० नं० १६ मे देखो १६ देखी
३ पर्याप्त
६
१ भंग १ मंग को० नं० १ देखो (') चारों गतियों में हरेक में [को० नं० १६ से १६ को० नं० १६ मे ६ का भंग देखो १६ देखो को० नं० १६ से १९ दो
। नाना जीवों की अपेक्षा
1
I
सासादन में (सम्यक्त्व मागंरणा का दूसरा भेद)
पर्यात
1
१
(१) नरक गति में
२३
कुछ नहीं होगा
(२)
में हरेक में
१ मासादन गुण जानता को० न० १७ १८ १९ | देहो
:
६ पर्यास एकेन्द्रिय सूक्ष्म जीव समास घटाकर शेष (६) (१) तियंच गति में ६-१ के मग को० नं० १७ देखी
(२) मनुष्य गति में १--१ में नग को० नं० १= देखो (३) देव गति में
१ जीव के नाम समय में
१ का भंग को० नं० १६ देखी
३
७
१
१ समास
को० नं०
एक जीव क एक समय में
१ समास ० नं०१६ १ मंग (१) तियंत्र मनुष्य-क्षेत्र गति को० नं० १७-१८ में हरेक में १६ देखो ३ का भंग
८
०१७ देखो को० नं० १७ देखो
१ समास
१ समाम १ समास को० नं० १८ देखी को० नं० १८ देखो
१ समाउ
को० नं० १६ देख ९ मंग को० नं० १७-१८१६ सो
: