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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं० ८५
सासादन में (सम्यक्त्व मार्गणाका दूसग भेद)
!
१४) देवमति में : सारे भंग । १ येद देवगति में
सारेभंग
१ वेद -कभंग को० नं. १६ देखो। को नं०१६ | २-१ के मंग
को नं० १९ देखो का न.१६ देखो देखो को नं. १६ देखो
| देखो ११ कवाय २३,
२५ ! सारे भंग १भंग
। सारे भंग
भंग को. नं० १ देखो १ न क गनि में कान०१६ देखो को० नं०१६ | (१) तिच पनि में को.नं. १७ देवा | को० नं०१७ का भग-कांनं. १६ देखो | २५-२३-२५-२४ के भंग
देखो देखो
को० नं० १७ देतो (२) तिथंच गति में
सारे भंग
भंग । (२) मनुष्य गति में सारे भंग १ भंग २५-२४ के भंग
को० नं०१७ २५-२४ के भंग को. नं०१८ रखो | को० नं०१५ कोर नं. १७ देखो देखो | कोनं० १५ देखो
। देखा 11३) मनुष्य गति में | सारे मंग
भंग (३) देवति में | सारे भंग १ मंग २१५-.४ के भंग को.नं. १५ देखो को. नं०१५ | २४-२४-०३ के भंग को० नं० १६ देखो को.नं०१६ को० न०१८ देखो देखो को.नं. १६ देखो
देखो (४) देवगति में
। सारे भंग । भंग २-१३ केभंग को.२०१६ देखो को० नं०१६ कोल नं०१६ देखो
देखो १२ज्ञान
सारे भंग । १ज्ञान
सारे भंग | (१) चारों गतियों में हरेक में | को.नं.१६ से | को.नं.१६ | कुपवधि ज्ञान घटाकर | को नं० १७-१८. कोनं.१७३ का भंग-को २०१६ | १६ देखो से १६ देखो
(२) | १६ देखो
१०-१६ देखो से १२ देखो
(१) तिर्वच-मनुष्य-देवगति
कुज्ञान
२-२ के भंग-
कोनं १७-१८-१९ देखो
१२ संयम
प्रसंयम
।
(१) चारों गतियों में हरेक में | कोनं०१६ से को० नं०१६ (१) तिर्यच-मनुप्य-देवगति को 40१७-१८- को० नं०१७पसंयम जानना देखो से १६ देलो हरेक में
१६ देखो
१८-
१देखो को.नं. १६ से १६ देखो
१ असंयम जानना को. नं०१७-१८-१९ देखो