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चौतीस स्थान दशन
कोष्टक नं. ८५
सामादन में (सम्यक्त्व मार्गणा का दूसरा भेद)
। । । ।
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को 21.१
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लकि: F -.-४ के भग
भीना। प्राण
१ भंग को नं.? देखो । मारों गलियों में हरेक में काऊन१ ग १६ को.नं. १भ निन-
जय-देवांन का ---- कोन०१७-१८१० का भंग
१६ देखो में हमे । १६ दी .१६ देतो को० नं. १६ १६ देखों
के भी ना निकन्ग | । करेन नं. -१८-१६ !
देखो ५मंत्रा
भंग को.नं.१ मेलो ।(१) चारों मनियों में हरेक में का० नं०१६ कोनं। १६ मे नियंच या यदनगनि की नं०१७-१:- कोन. १७-१८. ४ का मंग
देबो । में हरंब
! १८ देवो देखो का नं०१६ मे १६ देवो
गति
। गत
पनि
को००१ देखो
चारों गनिदानना
नमगान करना । सोनम
जानि जाति नगीनंदग्दो बोन.१३ देखो
७ दिम जानि ५ पो न देखोराबान निको नहर में कोर ११६.न.
१ पंचेन्दिय जानि जानना . देखा । १६ । को नंग देखो।
1 (5) मनमानि में जानि । जानि !झुक में
काम०१८-१९ मा.नं.:-१६ १नजी पननिय जान देखो जानना कानं०१८-१६ वन्वा ।